सांस्कृतिक विरासत युवा नेतृत्व कार्यक्रम

सांस्कृतिक विरासत युवा नेतृत्व कार्यक्रम की स्कीम

सांस्कृतिक विरासत युवा नेतृत्वप कार्यक्रम की स्कीम का कार्य अब आगे से सांस्कृतिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, नई दिल्ली् द्वारा संभाला जाएगा। अब तक प्राप्त प्रस्तावों को,स्कीम के तहत वित्तीय सहायता के अनुदान और अनुमोदित कार्यान्वयन एजेंसी एवं पात्र संस्थानों में शामिलकरने के लिए सांस्कृतिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षणकेंद्र,नई दिल्ली को हस्तांतरित कर दिए गए हैं। जिन संस्थानों ने अपने प्रस्तावों को प्रस्तु्त कर दिया है, उनसेअनुरोध है कि वे भविष्य में निदेशक, सांस्कृ्तिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, 15-ए, सैक्टर-7, पप्पनकलाँ, द्वारका, नई दिल्ली्-110075 से संपर्क करें। सांस्कृतिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, नई दिल्ली के लिए संपर्क संख्या-011-25088638 है।

उद्देश्यै

इस स्कीम का उद्देश्य, युवाओं में उचित नेतृत्व गुण विकसित करने की दृष्टि से सांस्कृतिक जागरूकता का संवर्धन करने; परस्पर समझ व आदर बढ़ाने तथा साथ ही भारत की समृद्ध विरासत के प्रति प्रेम विकसित करने के लिए युवाओं में संस्कृ‍ति की जागरूकता बढा़ना है। इस कार्यक्रम का केंद्रित बल, पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले अपेक्षाकृत कम साधनहीन बच्चों पर होगा। ये कार्यकलाप करने के लिए संभव सीमा तक प्रचार हेतु देशी भाषा का इस्तेहमाल किया जाएगा।

क्षेत्र

  1. निम्निलिखित कार्यकलापों के लिए वित्ती य सहायता, अनुमोदित कार्य व्या्पक एजेंसियों व मौजूदा पात्र संस्था्ओं को दी जाएगी :-
    1. संस्कृति व विरासत में संस्थानों की रूचि पैदा करने के लिए पात्र संस्था‍नों को संस्कृति से संबद्ध मौजूदा दृश्य-श्रव्य (एवी) सामाग्रियों का वितरण।
    2. संस्कृति से संबद्ध प्रकाशनों सहित नई दृश्यक-श्रव्यं सामग्री का निर्माण।
    3. साधनहीन व स्कूसलों के विद्यार्थियों द्वारा स्मामरकों, संग्रहालयों, विज्ञान केन्द्रों , विज्ञान शहरों व अन्यद विनिर्दिष्टा स्थंलों/समारोहों के दौरों में सहायता करना।
  2. अनुमोदित कार्यान्वयन एजेंसियों के मामलों में, स्कूलों/कॉलेजों व अन्य युवा संगठनों के चयन के लिए मूल्यांनकन तंत्र, अनुमोदित कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा स्थापित किया जाएगा।
  3. पात्र संस्थानों को वितरण हेतु संस्कृति से संबद्ध मौजूदा दृश्य -श्रव्य सामग्री की पहचान, विशेषज्ञ मूल्यांयकन समिति (ईएसी) द्वारा की जाएगी। समिति, सांस्कृतिक क्षेत्र में कार्यरत सहित सुप्रसिद्ध संस्थांनों/निर्माताओं द्वारा तैयार मौजूदा दृश्य -श्रव्य सामग्री पर विचार कर सकती है और इस संबंध में आवेदन आमंत्रित कर सकती है। सामग्री का वितरण, ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ द्वारा किया जाएगा जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय/राज्य सरकारों के परामर्श से वितरण कार्य करेंगी। समय-समय पर यथा संशोधित ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ की सूची संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली जाएगी।
  4. इस स्कीम के तहत “भारत एक खोज” (जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित पुस्तक “भारत की खोज” पर आधारित श्याम बेनेगल द्वारा दूरदर्शन के लिए निर्मित 53 कडियों वाले धारावाहिक) की सीडी/डीवीडी को स्कूलों, कॉलेजों व अन्य पात्र संस्थानों को वितरित किया जा सकता है।
  5. सामान्यतया,दृश्य-श्रव्य सामग्री का वितरण ऐसे ‘पात्र संस्थानों’ को किया जाएगा जिनके पास पहले से सीडी/डीवीडी प्लेयर सहित प्रक्षेपण उपस्कर हैं। अपवाद स्वरूप मामलों में, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति, अधिकतम निर्धारित सीमा के अनुसार उपस्कर की खरीद हेतु ‘पात्र संस्थापनों’ को वित्तीय सहायता देने पर विचार कर सकती है।
  6. विशेषत: बच्चों के लिए भारत की विरासत संबंधी उत्तम प्रकाशनों व दृश्य-श्रव्‍य सामग्री की उपलब्ध्ता में अंतराल को भरने के लिए, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा यथा अनुमोदित ऐसी दृश्ध-श्रव्य सामग्री और/या प्रकाशनों के निर्माण के लिए ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ को वित्ती्य सहायता देने पर विचार किया जा सकता है।
  7. समाज, विशेषत: पिछड़े/मलिन बस्ती क्षेत्रों के अपेक्षाकृत कम साधनहीन बच्चों को संग्रहालयों/कला वीथियों/स्मारकों/विज्ञान केन्द्रों /विज्ञान शहरों (या इनके संयुक्त रूप) में ले जाने और उन्हें रंगमंच/नृत्य/कला प्रस्तु्तियां दिखाने/उनमें भागीदारी के उद्देश्य से,‘पात्र संस्थानों’ द्वारा सीधे या ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों' के तत्वावधान में दिन भर का दौरा आयोजित किया जा सकता है। इस कार्यकलाप के लिए निम्नलिखित घटकों/अवयवॉ की अनुमति होगी :
    1. बच्चों के परिवहन हेतु बसों को भाड़े पर लेना। यदि आवश्यवक हो तो 25-50 किलोमीटर के अपेक्षित दायरे में रेलगाड़ी से भी यात्रा आयोजित की जा सकती है।
    2. बच्चों के साथ स्कूल के शिक्षक जाएंगे।
    3. भागीदारों के लिए दुर्घटना बीमा का प्रावधान। स्कूल/संस्थान प्रत्येक 20 भागीदार बच्चों के लिए एक समन्वयक तैनात करेंगे। ये समन्वयक बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
    4. बच्चों को स्मा्रक/संग्रहालय/विज्ञान केन्द्र/विज्ञान शहर/नाटक दिखाने के लिए ले जाया जाएगा तथा प्रारंभ में उन्हें किसी जिम्मेदार व्याक्ति द्वारा इस बारे में बताया जाएगा कि वे क्या देखने वाले हैं। उन्हें एक स्मारिका व लिखने के लिए पैड दिया जाएगा।
    5. स्मारकों/संग्रहालयों/विज्ञान केन्द्रों /विज्ञान शहरों में भागीदारों का समूह संचालित करने के लिए गाइडों की सेवाएं लेना।
    6. बच्चों को रूचिकर व पोषक भोजन दिया जाएगा।
    7. स्मांरक/संग्रहालय/ विज्ञान केन्द्री/विज्ञान शहर/नाटक देखने के बाद, परस्पर मेलजोल का सक्रिय सत्र होगा। इस सत्र में, बच्चों को उस बारे में सामग्री दी जाएगी जो कुछ उन्होंने देखा है अर्थात बच्चों के लिए पुस्तकें/डीवीडी/वीसीडी/म्यूजिक कैसेट।
    8. बच्चों के वापिस अपने गांव/स्कू्ल आने पर नियमित अनुवर्ती सत्र होंगे अर्थात जो बच्चों ने देखा उस पर लघु नाटक का मंचन/लेख रचना/विचार-विमर्श।

पात्रता

  1. ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियां’: संस्कृति मंत्रालय के तहत कोई भी सांस्कृंतिक संस्थान या स्वैच्छिक संगठन (जैसे पंजीकृत सोसायटी, न्यास आदि), ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ की सूची में शामिल किए जाने के लिए आवेदन कर सकता है। सूची में इस प्रकार का समावेशन, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा यथा अनुमोदित दीर्घकालिक आधार पर या विशिष्ट अवधि/कार्यकलाप के लिए हो सकता है। समय-समय पर यथा संशोधित ‘अनुमोदित कार्यान्वयन एजेंसी’ की सूची संस्कृतति मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली जाएगी। स्कूलों/कॉलेजों/युवा संगठनों के साथ सीधे काम करने के लिए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए अनुमोदित कार्यान्वयन एजेंसियां अपने विकेन्द्रीकृत तंत्र विकसित कर सकती है कि युवा व्यक्तियों की भागीदारी को वहय प्रोत्साहन मिलता है जिसके वे पात्र हैं।
  2. 3.2 ‘पात्र संस्थातन’: बच्चों के साथ सीधे कार्यरत संस्कृरति के क्षेत्र में कोई भी स्कूल, कॉलेज या स्वैच्छिक संगठन, बच्चों को संग्रहालयों/स्मारकों/कला वीथियों (या इसके संयुक्तस रूप) में ले जाने और/या उन्हें रंगमंच/नृत्यो/संगीत कला प्रस्तुति दिखाने/उनमें भागीदारी करवाने के लिए पात्र संस्थानों की सूची में शामिल किए जाने के लिए आवेदन कर सकता है। समान्तया उक्त सूची में समावेशन, विशिष्ट कार्यकलाप/वर्ष के लिए होगा, यद्यपि विशेष परिस्थितियों में, विशेषज्ञ मूल्यां कन समिति अपेक्षाकृत दीर्घकालिक आधार पर समावेशन की अनुमति दे सकती है। इसके अलावा ‘अनुमोदित कार्यान्वेयक एजेंसियां’ ऐसे स्कूलों/कॉलेजों की पहचान कर सकती हैं और उनके साथ काम कर सकती हैं जो सूची में समावेशन हेतु विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति को मामला भेजे बिना पात्रता शर्तों को पूरा करते हों बशर्तें कि अन्य सभी शर्तें पूरी की गई हों।

नेतृत्व विकास पर केंद्रित बल :

एक समयावधि में, ‘अनुमोदित कार्यान्वनयक एजेंसियां’ व ‘पात्र संस्थान’, युवाओं में सांस्कृतिक नेतृत्व के विकास पर केंद्रित बल देंगे। इस बात को स्वीकार किया गया है कि प्रारंभिक चरणों में, इस कार्यकलाप को जागरूकता सृजन के साथ शुरू किए जाने की आवश्यवकता होगी, जो सामान्यतया धीरे-धीरे विस्तृत व गहन होती जाएगी, और इससे सांस्कृतिक जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने वालों के लिए युवाओं में नेतृत्व गुणों को प्रोत्साहित करने का आधार बनेगा। ऐसे नेतृत्व गुण विकसित करने में, संभव सीमा तक मंच कलाओं में कार्य जारी रखने के लिए सहायता के दोहरेपन से बचने का ध्यान रखा जाएगा।

वित्तीय सहायता

स्कीम के विभिन्नय घटकों के संबंध में ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ और/या ‘पात्र संस्थानों’ को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता इस प्रकार होगी :

क्र.सं. कार्यकलाप अनुमत्या अधिकतम वित्तीय सहायता
    अनुमोदित कार्यान्यवक एजेंसियों के लिए पात्र संस्थानों के लिए
1. मौजूदा दृश्य-श्रव्य सामग्री का वितरण प्रति वर्ष ऐसे संस्थानों की विनिर्दिष्ट संख्या के लिए प्रति संस्थान 10,000/-रू शून्य
2. सीडी/डीवीडी प्ले यरों सहित प्रक्षेपण शून्य 80,000/-रू
3. संस्कृ्ति संबद्ध प्रकाशनों सहित नई दृश्य-श्रव्य सामग्री का निर्माण प्रति नया प्रकाशन (2,000 प्रतियां) 3 लाख रू. और प्रति रिप्रिंट (2,000 प्रतियां) 2 लाख रू.
नई दृश्य-श्रव्य सामग्री के निर्माण (30 मिनट की अवधि) के लिए 2 लाख रू. और सीडी/डीवीडी (2000 प्रतियां) के निर्माण के लिए 1 लाख रू.
शून्या
4. साधनहीन विद्यार्थियों के दौरे क्षेत्रीय दौरों के लिए प्रतिवर्ष 10 लाख रू. और राष्ट्रीय दौरों (जिनमें कम से कम तीन क्षेत्र शामिल होंगे) के लिए 30 लाख रू. प्रति संस्थान अधिकतम ऐसे 200 व्यकक्तियों के लिए प्रति युवा 500/-रू. तक अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में 500 रूपये की सीमा बढ़ाई जा सकती है।

नोट : ऐसी स्थिति में जब पहले से किसी ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसी’ या किसी ‘पात्र संस्थान’ को संस्कृति मंत्रालय से सहायता अनुदान मिला हो तो इस स्कीम के तहत उसे दी गई कोई भी वित्ती्य सहायता उसी बजट शीर्ष, जिसमें से मुख्य सहायता अनुदान वितरित किया गया है, के माध्यम से दी जाएगी।

विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति

  1. सरकार द्वारा एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) (विशिष्ट विचारार्थ विषयों हेतु) गठित की जाएगी जिसके अध्यसक्ष, संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय होंगे।
  2. समिति में बच्चों के साथ काम करने की सुविज्ञता/अनुभव प्राप्त संस्कृति के विभिन्न् क्षेत्रों (जैसे संग्रहालय, समकालीन कला, पुरातत्व् व स्मावरक, रंगमंच, नृत्य , संगीत, वृत्तचित्र/दृश्य्-श्रव्य सामग्री के निर्माण आदि) से लिए गए पांच सदस्यस होंगे। संस्कृति मंत्रालय में निदेशक, समिति का सदस्य सचिव होगा।
  3. समिति, विचारार्थ विषय के तहत इसे अनुमोदित ‘कार्यान्वयक एजेंसियों’ और/या ‘पात्र संस्थांनों’ की सूची में समावेशन तथा विशिष्ट समयावधियँ/कार्यकलापों के लिए वित्तीय सहायता हेतु सभी आवेदनों/प्रस्तावों/अनुरोधों पर विचार करने के लिए तीन माह में कम से कम एक बार बैठक करेगी।

वित्तीय सहायता जारी करने की प्रक्रिया

  1. ‘अनुमोदित कार्यान्वीयक एजेंसियों’ की सूची में समावेशन हेतु आवेदन, फार्म-I में प्रस्तु्त किए जाएंगे और ‘पात्र संस्था्नों’ की सूची में समावेशन हेतु आवेदन, फार्म-II में प्रस्तुसत किए जाएंगे।
  2. ‘अनुमोदित कार्यान्वयक एजेंसियों’ और/या ‘पात्र संस्थानों’ द्वारा वित्तीय सहायता के सभी आवेदन फार्म -III में प्रस्तुत किए जाएंगे। आवेदक संगठन, फार्म-I और फार्म -II, यथा लागू, में आवेदन के साथ-साथ फार्म-III में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
  3. आवेदन, सचिव (संस्कृति), भारत सरकार को संबोधित किया जाए और इसे सदस्य सचिव, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की हैसियत से निदेशक (संग्रहालय) के ध्याकनार्थ पृष्ठांकित किया जाए तथा इसे कमरा नं. 329-सी, शास्त्री भवन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड़, नई दिल्ली 110 115 में भेजा जाए। विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के सदस्य सचिव द्वारा सभी पूर्ण आवेदन को पंजीकरण नम्बर दिया जाएगा। आवेदनों पर पंजीकरण नम्बर्रॉ के अनुसार संभव सीमा तक ‘पहले आओ, पहले पाओ’ आधार पर विचार किया जाएगा।
  4. प्रकाशनों व दृश्य -श्रव्य सामग्री के वितरण व नई दृश्य-श्रव्य सामग्री (प्रकाशनों सहित) के निर्माण हेतु वित्तीकय सहायता 3 और 1 के अनुपात में दो किस्तों में जारी की जाएगी। दूसरे शब्दों में, 75 प्रतिशत वित्तीतय सहायता प्रथम किस्तौ के रूप में और शेष 25 प्रतिशत सहायता दूसरी किस्तु (प्रथम किस्त के कम से कम 80 प्रतिशत उपयोग से संबंधित ब्यौसरा प्रस्तुत करने पर) के रूप में जारी की जाएगी1
  5. पात्र संस्थानों द्वारा आयोजित संग्रहालयों/कला वीथियों/स्मापरकों/विज्ञान केन्दौ/विज्ञान शहरों (या इनके संयुक्तक रूप में दौरों और/या रंगमंच/नृत्य देखने या भागीदारी के लिए अग्रिम रूप से पूरी वित्तींय सहातया जारी की जाएगी। तथापि, पात्र संस्थायन, वित्ती य सहायता जारी किए जाने की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतर किए गए वास्तविक व्यय के अनुसार उपयोग प्रमाण-पत्र प्रस्तुकत करने के लिए जिम्मेदार होगा। इस शर्त का पालन न करने पर ऐसे संस्थातन पर भविष्य में सदृश सहायता के लिए आवेदन करने पर रोक होगी।
  6. आवेदन प्रस्तुत करने की कोई निर्धारित अंतिम तिथि नहीं होगी और सभी श्रेणियों में आवेदन वर्षभर स्वी कार किए जाएंगे।
  • National Culture Fund
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  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
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