भीमबेटका के रॉक शेल्टर्स

भीमबेटका के शैल आश्रय

भीमबेटका के शैल आश्रय

मध्‍य प्रदेश

भीमबेटका के शैल आश्रय मध्‍य भारतीय पठार के दक्षिणी छोर पर विंध्‍य पर्वतमाला की तलहटी में स्थित हैं। अपेक्षाकृत घने जंगलों के ऊपर उभरे हुए बलुआ पत्‍थरों के बीच पांच प्राकृतिक शैल आश्रय समूह स्थित हैं। इन गुफाओं में चित्र बने हुए हैं और ये मध्‍य पाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक की अवधि के प्रतीत होते हैं। इस स्‍थल के आस-पास के 21 गांवों में रहने वाले लोगों की सांस्‍कृतिक परम्‍पराएं उन चित्रों से बहुत मेल खाती है जिन्‍हें शैल चित्रों में दर्शाया गया है।

भीमबेटका लोगों और प्रकृति के बीच दीर्घ समय से चली आ रही अंतरक्रिया को प्रदर्शित करता है। यह आखेटक और खाद्य संग्राहक अर्थव्‍यवस्‍था से गहराई से संबंधित था जैसा कि इसके शैल चित्रों और इस स्‍थल के आस-पास के स्‍थानीय आदिवासी गांवों में शेष बची परम्‍पराओं से प्रदर्शित होता है।

इस स्‍थल को सन 1957 में वी.एस. वाकनकर द्वारा खोजा गया था। इससे लगभग 100 वर्ष पूर्व सन 1867 में उत्‍तर प्रदेश में शैल चित्रों को खोजा गया था और सन 1883 में जे. कॉकबर्न द्वारा भारतीय शैल चित्रों पर प्रथम वैज्ञानिक लेख प्रकाशित किया गया था। स्‍थानीय आदिवासियों से प्राप्‍त जानकारियों के आधार पर भीमबेटका को पहली बार 1888 में बौद्ध स्‍थल के रूप में उल्लिखित किया गया था। वाजपेयी, पाण्‍डेय और गौड़ द्वारा सन 1971 में दो आश्रयों का पता लगाया गया।

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