अनुभाग अधिकारी, संग्रहालय-1 अनुभाग कमरा नं. 333ए-सी विंग, शास्त्री भवन, नई दिलली 110115 फोन नं. 23387108
संस्कृति मंत्रालय द्वारा आरंभ किए गए 14-सूत्री संग्रहालय सुधार कार्यसूची के एक भाग के तौर पर देश के विभिन्न भागों में संग्रहालयों में पुरावस्तुओं के अंकीकृत दस्तावेजीकरण के क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किए जाने की आवश्यकता है। फिलहाल, अधिकतर संग्रहालयों में दस्तावेजीकरण की स्थिति अच्छी नहीं है और संग्रहालयों द्वारा अनुरक्षित पुरावस्तुओं के ब्यौरे अभिग्रहण पंजिका में केवल भौतिक रूप में उपलब्ध है जिसका रख-रखाव संग्रहालयों द्वारा किया जा रहा है। यह भी पाया गया है कि कुछ मामलों में अभिग्रहण पंजिका में उपलब्ध सूचना प्रामाणिक नहीं है तथा पुरानी हो गई है। अत:, इन संग्रहालयों की संग्रहण प्रबंधन प्रणाली का आधुनिकीकरण करने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि अंकीय संग्रहण प्रबंधन प्रणाली की सहायता ली जाए। इसके अलावा, पुरावस्तुओं के दस्तावेजीकरण के अंकीकरण की सहायता लेने से विभिन्न पुरावस्तुओं की स्थिति से संबंधित सूचनाएकही स्थान पर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसका उपयोग तब संबंधित संग्रहालय की वेबसाइट तैयार करने के लिए किया जा सकता है जहां विद्वानों, शोधकर्ताओं और साथ ही साथ इच्छुक व्यक्तियों की सुगम उपलब्धता हेतु इस पूरे डाटा को ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाएगा।
इस स्कीम के तहत, देश भर में फैले संग्रहालयों की कला वस्तुओं के अंकीकरण तथा उनकी आकृतियां/कैटेलॉग वेबसाइट पर उपलब्ध करवाने के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा विभिन्न संग्रहालयों को अनुदानके रूप में निधियां उपलब्ध करवाई जाएंगी। इस स्कीम के दो घटक होंगे, एक अवसंरचना की स्थापना से संबंधित (विशेष उद्देश्य से तैयार चैनलों के माध्यम से संग्रहालय स्तर के सर्वर / कंप्यूटरों से जोड़ा गया सेंट्रल सर्वर) तथा दूसरा, संग्रहणों के अंकीकरण से संबंधित टेम्पलेट आधार पर पूर्ण ब्यौरे सहित क्रॉस-इनडेक्स किया हुआ होगा। संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य होगा अपने संग्रहणों के ऑनलाइन डाटाबेस को सामान्य जनता द्वारा ऑनलाइन देखे जाने हेतु सहज रूप से उपलब्ध करवाना। इस स्कीम की निधियोंका एक भाग (प्रति वर्ष अधिकतम 2 करोड़ रू. तक) संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारतीय सोसाइटी अधिनियम, 1860 या समरूप कानून के अंतर्गत पंजीकृत मंत्रालय तथा अन्य राज्य सरकार एवं निजी संग्रहालयों के अधीन संग्रहालयों के संग्रहणों को प्रदर्शित करती संयुक्त वेबसाइट तैयार करने के लिए तकनीकी संस्थानों के साथ परियोजनाओं को आरंभ करने के लिए किया जाएगा।
राज्य सरकारों, पंजीकृत सोसाईटियों, स्वैच्छिक संस्थाओं, न्यासों और गैर सरकारी संगठनों के अधीन वे सभी संग्रहालय, जो भारतीय सोसाइटी अधिनियम, 1860 या सदृश कानून के तहत पंजीकृत हैं, इस स्कीम के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। आवेदनकर्ता संगठन को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी :
पात्रता की शर्तें
- आवेदनकर्ता संस्था पंजीकरण के पश्चात्, आवेदन करने से कम से कम 3 वर्ष पहले से मौजूद होनी चाहिए। तथापि, विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर सचिव संस्कृति द्वारा विशेष और पात्र मामलों में छूट दी जा सकती है, जिसके कारण लिखित रूप में दर्ज किए जाएं।
- उस संस्था के पास कार्यकरण हेतु एक पूर्णत: स्पष्ट संविधान और निर्धारित नियम / उप-नियम होने चाहिए।
- ऐसी आवेदनकर्ता संस्थाएं जो ऐतिहासिक और / अथवा सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं के एक बड़े संग्रहण का स्वामित्व और अधिकार रखती हों (न्यूनतम 500 वस्तुएं), जिन्हें संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया हो। इस स्कीम के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करते समय संग्रहालय द्वारा अधिकारमें ली गई प्रदर्शित वस्तुओं की प्रकृति और संख्या उस प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से दर्शाई जानी चाहिए।
- वे अपने संतोषजनक कार्य निष्पादन के सत्यापन के संबंध में राज्य सरकार (संस्कृति विभाग या समतुल्य) का एक प्रमाण-पत्र भी उपलब्ध करवाएं।
- उक्त संस्था किसी लाभ के लिए न चलाई जा रही हो।
- आरंभ किए जाने वाले प्रस्तावित अंकीकरण कार्य की योजना और अनुमान, राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) के जिला सूचना अधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित करवाकर विस्तृत रूप में प्रस्तुत किए जाएं।
- आवेदनकर्ता संस्थाएं अपने संग्रहणों को जन-सूचना हेतु वेबसाइट पर देखने हेतु साझा करने पर सहमत होनी चाहिए।
स्कीम के तहत वित्तीय सहायता के प्रयोजन से संग्रहालयों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है : श्रेणी-I, सरकार के स्वामित्व में विशिष्ट संग्रहणों सहित राज्य स्तर के संग्रहालयों और प्रसिद्ध संग्रहालयों से संबंधित होगी। श्रेणी-II, अन्य सभी संग्रहालयों से संबंधित होगी।
श्रेणी-I के संग्रहालयों के लिए, स्कीम के तहत दी जा सकने वाली वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि डिजिटलीकरण की परियोजना लागत का 80 प्रतिशत होगी, जो प्रति संग्रहालय अधिकतम 50 लाख रूपए तक होगी। श्रेणी-IIके संग्रहालयों के लिए अधिकतम राशि, डिजिटलीकरण की परियोजना लागत का 80 प्रतिशत होगी, जो प्रति संग्रहालय अधिकतम 25 लाख रू. तक होगी। परियोजना लागत की शेष 20 प्रतिशत राशि की व्यवस्था संबंधित संग्रहालय द्वारा स्वयं की जाएगी। सिक्किम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र में संग्रहालयों के मामले में केन्द्र सरकार श्रेणी-Iऔर श्रेणी-IIसंग्रहालयों हेतु कुल परियोजना लागत का 90 प्रतिशत तक उपलब्ध करवाएगी,जैसा ऊपर दिया गया है।
- स्कीम के अन्तर्गत संग्रहालय के संग्रह के डिजीटलीकरण और वेबसाइट के विकास के लिए वित्तीय सहायता दस वर्षों में केवल एक बार ही प्रदान की जाएगी। बाद के वर्षों में हार्डवेयर सॉफ्टवेयर आदि के स्तरोन्नयन के लिए होने वाली आवश्यकताओं को आवेदक संग्रहालय द्वारा अपनी धनराशि से पूरा किया जाएगा।
- यह अनुदान कम्प्यूटर हॉर्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के अभिप्रापण तथा स्कैनर्स, कैमरों आदि जैसेअन्य उपकरणों तथा वेबसाइट के विकास जैसे पूंजीगत प्रकृति के कार्यों के लिए प्रदान किया जाएगा और इसे वेबसाइट होस्टिंग तथा प्रबंधन शुल्कों, इस उद्देश्य के लिए आई.टी स्टाफ के वेतन जैसे व्यय की आवर्ती मदों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
- जहां कहीं भी यह कार्य सरकारी एजेंसियों के अलावा अन्य किसी एजेंसी को सौंपा जाएगा वहां आवेदक संस्थान द्वारा कार्यान्वयनकारी एजेंसी को सूचीबद्ध करने में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए खुली निविदाएं/कोटेशन आमंत्रित करके पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी पद्धति के माध्यम से परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी को चुनना चाहिए। इस संबंध में आवेदक संस्थान द्वारा मंत्रालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
- देश भर में प्रतिष्ठित संग्रहालयों द्वारा उपयोग किए जा रहे समुचित मानक सॉफ्टवेयर को प्राप्त और उपयोग करके संग्रहालय की संग्रह-प्रबंधन प्रणाली का डिजीटलीकरण
- डिजीटलीकरण के उद्देश्य के लिए संग्रहालय के कला संबंधी कार्यों की फोटोकॉपी
- संग्रहालय वेबसाइट का सृजन अथवा स्तरोन्नयन
- संग्रहालय वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक प्रसार के लिए संग्रहालय में उपलब्ध कार्यों के डिजीटल कैटलॉग का सृजन करना
- संग्रहालय के डिजीटलीकरण कार्यों के लिए सर्वर्स, क्लाइंटस, लैन, स्कैनर्स, कैमरे आदि जैसे हार्डवेयर का प्रापण
- ऑनलाइन संग्रहालय पुस्तकालय का विकास
- संग्रहालय के लिए अन्तरक्रियात्मक सूचना पटलों का विकास
- स्कीम के अन्तर्गत यह वित्तीय अनुदान मंत्रालय द्वारा दो बराबर की किस्तों में जारी किया जाएगा। केन्द्र सरकार की 50 प्रतिशत की पहली किस्त इस उद्देश्य के लिए गठित संस्कृति मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा परियोजना प्रस्ताव की सिफारिशों पर सक्षम प्राधिकारी का अनुदान प्राप्त करने के बाद ही मंजूर और जारी की जाएगी।
- वित्तीय अनुदान के शेष 50 प्रतिशत की दूसरी किस्त अनुदान प्राप्तकर्ता संस्थान द्वारा संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रथम किस्त के अन्तर्गत दिए गए अनुदान के 100 प्रतिशत तथा अपने योगदान के 10 प्रतिशत के उपयोग करने के बाद जारी की जाएगी। द्वितीय किस्त का जारी होना केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदान की पूर्वकिस्त तथा संग्रहालय के 10 प्रतिशत सदृश योगदान के संबंध में सनदी लेखाकार की फर्म द्वारा लेखा परीक्षित उपयोग प्रमाण-पत्र तथा लेखा विवरण प्राप्त होने पर निर्भर करेगी।
आवेदक संस्थान द्वारा शुरू की गई डिजीटलीकरण परियोजना संस्कृति मंत्रालय द्वारा अनुदान की पहली किस्त के जारी होने की तारीख से 2 वर्षों की अवधि के भीतर पूरी हो जानी चाहिए। यदि परियोजना को पूरा करने में कोई बिलंब हो रहा है तो विलंब के कारणों का पूरा औचित्य संबंधी ब्यौरा देते हुए मंत्रालय से समय बढ़ाने की अनुमति मांगी जा सकती है और ऐसा नहीं करने पर बाद वाली किस्त जारी नहीं की जाएगी। यदि परियोजना के पूरा होने में विलम्ब हुआ और इस विलंब के समय में संग्रहालय द्वारा मंत्रालय से कोई अनुमति नहीं ली गई हो तो संबंधित संग्रहालय को मंत्रालय द्वारा यथा निर्धारित दण्ड स्वरूप ब्याज के साथ मंत्रालय द्वारा इसे प्रदान किए गए अनुदान की समस्त राशि वापस लौटानी होगी। मंत्रालय द्वारा प्रदानकी गई वित्तीय सहायता से किए जा रहे कार्य का वास्तविकसत्यापन करने के लिए संग्रहालय का दौरा करने के लिए संस्कृति मंत्रालय अपना प्रतिनिधि तैनात कर सकता है।
यह स्कीम वर्ष भर खुली है और प्रस्तावों को जमा करने के लिए एक निर्धारित अंतिम तारीख होगी। स्कीम के अन्तर्गत आवेदनों पर पहले-आओ पहले-पाओ आधार पर कार्रवाई और विचार किया जाएगा। विहित आवेदन प्रपत्र-I को उसमें वर्णित अनुलग्नक समेत प्रस्तुत करने के अलावा, आवेदक को मंत्रालय से अनुरोध किए जा रहे वित्तीय अनुदान से शुरू किए जाने वाले कार्यों की मदों तथा किए जाने वाले प्रापण के संबंध में विस्तृत आकलनों का उल्लेख करते हुए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के रूप में प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए। प्रत्येक मामले में इन आकलनों को राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) के जिला सूचना अधिकारी द्वारा आवश्य सत्यापित /प्रति हस्ताक्षरित होना चाहिए। इस परियोजना प्रस्ताव में परियोजना के प्रत्येक चरण को पूरा होने के लिए प्रतिबद्ध समय सीमा का भी अवश्य विशेष रूप से उल्लेख होना चाहिए।
संग्रहालय अनुदान स्कीम के अन्तर्गत अनुदानों की सिफारिश करने के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में स्थापित विशेषज्ञ समिति द्वारा इस स्कीम के अन्तर्गत वित्तीय सहायता हेतु प्राप्त आवेदन पत्रों की जांच की जाएगी तथा इस विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर तथा सक्षम प्राधिकरण द्वारा इसके अनुमोदन के बाद अनुदान को अनुमोदित किया जाएगा।