सप्ताह का प्रादर्श-166
(03 से 09 अगस्त 2023 तक)
सेर पाई
बारह पारंपरिक मापने वाले कटोरे का एक सेट
सेर पाई काष्ठ निर्मित और पीतल के उभरे हुए रूपांकनों से अलंकृत 12 पारंपरिक मापकों का एक सेट/समूह होता है जिसे सूरी पात्र के नाम से भी जाना जाता है। इनका उपयोग छटाक से सेर तक चावल, धान और अन्य अनाजों को मापने के लिए किया जाता है। सेर पाई का निर्माण लोकपुर, जिला बीरभूम, पश्चिम बंगाल में ही होता है। सेर वजन की एक इकाई है और पाई पाव शब्द से बना है जिसका अर्थ है 'एक चौथाई'। सेर पाई बनाने के लिए आम, ताड़, कटहल और शिरीष के पेड़ों का उपयोग किया जाता है। पात्र गोलाकार हैं और लेथ मशीन में घिसे जाते हैं, परंतु प्रारंभ में इन्हें हाथों से ही उकेरा और तराशा जाता था। लकड़ी को दो दिनों तक पानी में भिगोई गई कुछ जड़ी-बूटियों की मदद से काला रंग दिया जाता है। पीतल की चादरों को, मछली, पत्ती आदि जैसे विभिन्न रूपांकनों में उकेर कर, लकड़ी पर छोटी कीलों के द्वारा जड़ा जाता है। परंपरागत रूप से यह 12 पात्रों का एक समूह/सेट होता है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर संपन्न किसानों/बंगाली परिवारों द्वारा किया जाता है। आजकल इन पात्रों का उपयोग केवल सजावट के लिए किया जाता है। पात्र को इस तरह से आकार दिया गया है कि उन्हें आकार के अनुसार आकर्षक ढंग से एक के ऊपर एक व्यवस्थित किया जा सकता है। सेट के निचले हिस्से के सबसे बड़े पात्र की क्षमता 80 सेर (2 मन) होगी और ग्यारहवें पात्र की क्षमता 1/16 सेर (एक छटाक) होती है। 12वां हिस्सा एक अलंकृत ढक्कन होता है जो सेर पाई सेट के शीर्ष पर आकर्षक रूप से लगा होता है। वर्तमान प्रादर्श लकड़ी और पीतल की चादर से बने ढक्कन के साथ 16 इकाइयों का एक सेट है।
आरोहण क्रमांक - 2006.1052 से 1066 AB तक
स्थानीय नाम - सेर पाई, बारह पारंपरिक मापने वाले कटोरे का एक सेट
समुदाय - कर्मकार
क्षेत्र - बीरभूम, पश्चिम बंगाल
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Date: August 3, 2023