निर्मित विरासत

स्‍मारक

प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 ‘प्राचीन स्‍मारक’ को इस प्रकार परिभाषित करता है:-

"प्राचीन स्‍मारक" से कोई संरचना, राचन या संस्‍मारक या कोई स्‍तूप या दफ़नगाह, या कोई गुफा, शैल-रूपकृति, उत्‍कीर्ण लेख या एकाश्‍मक जो ऐतिहासिक, पुरातत्‍वीय या कलात्‍मक रुचि का है और जो कम से कम एक सौ वर्षों से विद्यमान है, अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत है-

  • किसी प्राचीन संस्‍मारक के अवशेष, 
  • किसी प्राचीन संस्‍मारक का स्‍थल, 
  • किसी प्राचीन संस्‍मारक के स्‍थल से लगी हुई भूमि का ऐसा प्रभाग जो ऐसे संस्‍मारक को बाड़ से घेरने या आच्‍छादित करने या अन्‍यथा परिरक्षित करने के लिए अपेक्षित हो, तथा
  • किसी प्राचीन संस्‍मारक तक पहुंचने और उसके सुविधापूर्ण निरीक्षण के साधन; 

धारा 2 (घ) पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष को इस प्रकार परिभाषित करती है-

"पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष" से कोई ऐसा क्षेत्र अभिप्रेत है, जिसमें ऐतिहासिक या पुरातत्‍वीय महत्‍व के ऐसे भग्‍नावशेष या परिशेष हैं या जिनके होने का युक्‍तियुक्‍त रूप से विश्‍वास किया जाता है, जो कम से कम एक सौ वर्ष से विद्यमान हैं, और इनके अन्‍तर्गत हैं-

  • उस क्षेत्र से लगी हुई भूमि का ऐसा प्रभाव जो उसे बाड़ से घेरने या आच्‍छादित करने या अन्‍यथा परिरक्षित करने के लिए अपेक्षित हो, तथा
  • उस क्षेत्र तक पहुंचने और उसके सुविधापूर्ण निरीक्षण के साधन;
स्‍मारकों का संरक्षण

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के अधीन राष्‍ट्रीय महत्‍व के स्‍मारकों, स्‍थलों तथा अवशेषों के संरक्षण के संबंध में आपत्‍तियां, यदि कोई हो, आमंत्रित करते हुए दो महीने का नोटिस देता है । दो माह की निर्दिष्‍ट अवधि के पश्‍चात् तथा इस संबंध में आपत्‍तियां यदि कोई प्राप्‍त होती है, की छानबीन करने के पश्‍चात् भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण किसी स्‍मारक को अपने संरक्षणाधीन लेने का निर्णय करता है । इस समय राष्‍ट्रीय महत्‍व के 3650 से अधिक प्राचीन स्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष हैं । ये स्‍मारक विभिन्‍न अवधियों से संबंधित है जो प्रागैतिहासिक अवधि से उपनिवेशी काल तक के हैं तथा विभिन्‍न भूगोलीय स्‍थितियों में स्‍थित हैं । इनमें मंदिर, मस्‍जिद, मकबरे, चर्च, कब्रिस्‍तान, किले, महल, सीढ़ीदार कुएं, शैलकृत गुफाएं तथा दीर्घकालिक वास्‍तुकला तथा साथ ही प्राचीन टीले तथा स्‍थल जो प्राचीन आवास के अवशेषों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, शामिल हैं ।

इन स्‍मारकों तथा स्‍थलों का रखरखाव तथा परिरक्षण भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के विभिन्‍न मंडलों द्वारा किया जाता है जो पूरे देश में फैले हुए हैं । मंडल इन स्‍मारकों के अनुसंधान तथा संरक्षण कार्यों को देखते हैं जबकि विज्ञान शाखा जिसका मुख्‍यालय देहरादून में है, रासायनिक परिरक्षण करते हैं तथा उद्यान शाखा जिसका मुख्‍यालय आगरा में है, को बगीचे लगाने तथा पर्यावरणीय विकास का कार्य सौंपा गया है।

उत्खनन

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की विभिन्‍न शाखाओं और मण्‍डलों ने देश के विभिन्‍न भागों में पुरातत्‍वीय उत्‍खनन किए हैं। स्‍वतंत्रता से भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण, राज्‍य के पुरातत्‍व  विभागों, विश्‍वविद्यालयों और अन्‍य संगठनों ने देश के विभिन्‍न भागों में पुरातत्‍वीय उत्‍खनन किए हैं । पिछली शताब्‍दी के दौरान किए गए उत्‍खननों के संबंध में स्‍थलों की सूची "इंडियन आर्किलोजी –ए रिव्‍यू ए लिस्‍ट ऑफ दि साइट्स" में उपलब्‍ध सूचना के आधार पर 2000 से दिए गए उत्‍खननों की राज्‍यवार सूचना इस भाग में दी गई है । राज्‍यवार क्रमानुसार करें जिनमें स्‍थल की संक्षिप्‍त सूचना और महत्‍वपूर्ण प्राप्‍तियां शामिल हैं।

संरक्षण तथा परिरक्षण

भारतीय पुरातत्वह सर्वेक्षण (एएसआई) संस्कृिति विभाग, पर्यटन एवं संस्कृ्ति मंत्रालय के अंतर्गत एक संबद्ध कार्यालय है। यह राष्ट्रे के सांस्कृ तिक विरासत के पुरातत्वी9य अनुसंधान कार्य और संरक्षण के लिए एक अग्रणी संगठन है। राष्ट्री य महत्व् के प्राचीन संस्मािरकों और पुरातत्वीयय स्थंलों तथा अवशेषों का रख-रखाव एएसआई के मुख्यट दायित्व में शामिल है। इसके अलावा, यह प्राचीन संस्मा्रक और पुरातत्वी्य स्थमल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के उपबंधों के अनुसार देश में सभी पुरातत्वीकय कार्यकलापों को नियंत्रित करता है। यह पुरावस्तु एवं कला संग्रह अधिनियम, 1972 को भी अधिनियमित करता है।

राष्ट्रीय महत्वय के प्राचीन स्मा रकों तथा पुरातत्वी‍य स्थनलों और अवशेषों के अनुरक्षण के लिए सम्पूकर्ण देश को 24 मंडलों में बांटा गया है । इस संगठन के पास अपनी उत्खीनन शाखाओं, प्रागैतिहास शाखा, पुरालेख शाखाओं, विज्ञान शाखा, उद्यान शाखा, भवन सर्वेक्षण परियोजनाओं, मन्दिार सर्वेक्षण परियोजनाओं और अन्तम:जलीय पुरातत्व स्कं ध के जरिए पुरातत्वीरय अनुसंधान परियोजनाओं को चलाने के लिए प्रशिक्षित पुरातत्वजविद्, संरक्षणकर्ता, पुरालेखविद्, वास्तुजशिल्पी तथा वैज्ञानिकों का भारी कार्य दल है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया www.asi.nic.in External Link that opens in a new window देखें।

  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
  • http://nmi.nic.in/
  • https://mygov.in