कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली

कुतुब मीनार

कुतुब मीनार और इसके स्‍मारक

दिल्ली

लाल कोट, वर्ष 1060 में तोमर राजपूत शासक, अनंग पाल द्वारा स्था्पित दिल्ली के सात शहरों में से पहला शहर है। कुतुब परिसर लाल कोट के पूर्वी भाग के मध्य में अवस्थित है। कुव्वत उल इस्लाम (इस्लाम की शक्ति), सामुदायिक मस्जिद का निर्माण कार्य कुतुबद्दीन ऐबक द्वारा वर्ष 1192 में प्रारंभ किया गया था और हिन्दू मंदिरों के ध्वस्त अवशेषों का उपयोग करते हुए इसे वर्ष 1198 में पूरा किया गया था। इसे इल्तुतमिश (1211-36) द्वारा और पुन: अलाऊद्दीन खिलजी (1296-1316) द्वारा बढ़ाया गया था।

कुतुब मीनार का कार्य लगभग वर्ष 1202 में कुतुबद्दीन ऐबक द्वारा भी शुरू किया गया था और उनके उत्तराधिकारी, मुहम्मद-बिन-साम द्वारा पूरा किया गया था। यह वर्ष 1326 में और पुन: वर्ष 1368 में बिजली गिरने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था तथा उस समय के तत्कालीन शासकों, मुहम्मद-बिन-तुगलक (1325-51) और फिरोज शाह तुगलक (1351-88) द्वारा इसकी मरम्मत कराई गई थी। वर्ष 1503 में सिकन्दर लोदी द्वारा ऊपर के मंजिलों में कुछ जीर्णोंद्धार तथा विस्तार कार्य करवाया गया था। मस्जिद परिसर में स्थित लौह स्तंभ को भारत में किसी अन्य जगह से लाया गया था इसमें चौथी शताब्दी का एक संस्कृत का शिलालेख अंकित है, जिसमें चंद्र नामक एक राजा के पराक्रम का उल्लेख किया गया है, जिसे संभवत: गुप्त वंश के राजा चंद्रगुप्त II (375-413) माना गया है। अन्य स्मारकों में, इल्तुतमिश का मकबरा, स्वयं ही इस शासक द्वारा वर्ष 1235 में बनाया गया था और अलाई दरवाजा का निर्माण अलाऊद्दीन खिलजी द्वारा वर्ष 1311 में किया गया था, इन्होंने अलाई मीनार का निर्माण कार्य भी शुरू किया।

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