यह स्कीम, संस्कृति मंत्रालय (एमओसी) के अधीन विभिन्न संस्थाओं तथा देश में चिन्हित अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं को अनुप्राणित करने तथा पुनरूज्जीवित करने के लिए शुरू की गई है, जो परस्पर हित की परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए इन संस्थाओं के साथ स्वयं को संबद्ध करने के लिए विद्वानों / शिक्षाविदों को प्रोत्साहित करती है। संस्थाओं में नवीन ज्ञानभंडार अनुप्राप्ति करने की दृष्टि से, इस स्कीम में इन अध्येताओं/शिक्षाविदों के इन संस्थाओं के मुख्य उद्देश्य से संबंधित परियोजना और अनुसंधान कार्य आरंभ करने के लिए संस्थाओं में विशिष्ट संसाधन के चयन हेतु तथा उन्हें नवीन सृजनात्मक दृष्टिकोण तथा शैक्षिक उत्कर्ष से उन्हें समृद्ध करने की परिकल्पना की गई है। इस स्कीम में भारतीय नागरिक तथा विदेशी नागरिक भाग ले सकते हैं। विदेशियों का अनुपात एक वर्ष में प्रदान की गई कुल अध्येतावृत्ति का सामान्यतया एक-तिहाई से अधिक नहीं होगा।
इस स्कीम को ‘‘टैगोर राष्ट्रीय सांस्कृतिक शोध अध्येतावृत्ति ’’ के नाम से जाना जाएगा।
इस स्कीम में संस्कृति मंत्रालय (एमओसी) के अधीन निम्नलिखित संस्थानों तथा इसके द्वारा सहायित संस्थानों को शामिल किया जाएगा और इसमें संस्कृति मंत्रालय द्वारा अथवा इसके अधीन सहायित अन्य सांस्कृतिक संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है :-
- राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली
- भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण, कोलकाता
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली
- राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली
- राजा राममोहन रॉय पुस्तकालय प्रतिष्ठान, कोलकाता
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली
- भारतीय संग्रहालय, कोलकाता
- सालारजंग संग्रहालय, हैदराबाद
- इलाहाबाद संग्रहालय, इलाहाबाद
- छत्रपति षिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुम्बई
- राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता
- विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, कोलकाता
- रामपुर रज़ा पुस्तकालय, रामपुर (उ. प्र.)
- खुदा बख्श ओरियंटल पब्लिक लाइब्रेरी, पटना
- राजा राममोहन रॉय पुस्तकालय प्रतिष्ठान, कोलकाता
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल
मंत्रालय द्वारा उपर्युक्त सूची को समय-समय पर संशोधित / परिवर्धित किया जा सकता है। संस्कृति मंत्रालय के अधीन नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय, एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता, मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान, केन्द्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, केन्दीय उच्चतर तिब्बती अध्ययन संस्थान, राष्ट्रीय कला इतिहास, संरक्षण एवं संग्रहालय विज्ञान संग्रहालय संस्थान और नव नालंदा महाविहार जैसे मुख्य रूप से अकादमिक प्रकृति वाले संस्थानों को उपर्युक्त सूची में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि ऐसी अपेक्षा की जाती है कि इनकी अपनी-अपनी अध्येतावृत्ति स्कीमें होंगी। तथापि, इनके अनुरोध पर इस स्कीम के अंतर्गत इन्हें शामिल किया जा सकता है।
ऐसे विद्वान जो गहन शैक्षणिक ज्ञान अथवा व्यावसायिक ख्याति वाले तथा अपने संबंधित क्षेत्रों में ज्ञान के प्रति महत्वपूर्ण योगदान किये हों, जैसाकि प्रख्यात और संदर्भित जर्नलों में प्रकाशित हुआ हो तथा उनके द्वारा लिखित पुस्तकों में परिलक्षित हुआ हो, अथवा कला या संस्कृति के किसी क्षेत्र में महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्य वाले व्यक्ति, अध्येतावृत्ति के लिए आवेदन करने हेतु पात्र होंगे। चयनित अध्येताओं को संबंधित संस्थानों में उपस्थित होना होगा क्योंकि इस स्कीम का उद्देश्य ऐसे संस्थानों को अकादमिक विशेषज्ञता प्रदान करना है ताकि इनके कार्यकलापों में अकादमिक अभिमुखीकरण लाया जा सके और इन्हें अन्य संस्थानों के अतिथि अकादमी विदों के साथ परस्पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान कियाजा सके। अत:, ऐसे उम्मीदवार जो नियमित रोजगार प्राप्त हैं वे अपने मूल संस्थान से अध्येतावृत्ति प्राप्त नहीं कर सकते।
नियुक्त किए जाने वाले अध्येता के पास पिछले पैरा में उल्लिखित विश्वसनीयता तथा संस्थान द्वारा शामिल क्षेत्र दोनों में गहन ख्याति होनी चाहिए। संस्कृति मंत्रालय कार्यरत अध्येताओं को सहायता प्रदान करने के लिए अपने बजट आबंटन के एक भाग के रूप में सहायता अनुदान प्रदान करेगा यदि यह संस्थान एक स्वायत्तशासी निकाय है (और इसने ऐसे वित्त पोषण की मांग की है) अगर यह संस्थान मंत्रालय का एक संबंद्ध / अधीनस्थ कार्यालय है तो मंत्रालय आवश्यक बजट प्रावधान करेगा। संस्थान को इसमें निर्धारित व्यापक मानदंडों के दायरे के भीतर रहते हुए तथा अतिथि अध्येतावृत्ति संबंधी राष्ट्रीय चयन समिति (एनएससी) द्वारा दी गई सलाह अनुसार स्कीम को चलाने की पूर्ण स्वतंत्रता और नमनीयता होगी (इसके लिए मंत्रालय सहायता अनुदान/बजट प्रावधान करेगा, जैसा मामला हो)
6.1 संस्थान तथा अध्येत्ता अन्वेषण के क्षेत्र की पहचान कर सकते हैं लेकिन अनुसंधान का विषय एक संस्थान तक सीमित नहीं होना चाहिए। अध्येत्ता शोधकर्ता एवं संस्थान दोनों के पारस्परिक लाभ वाली परियोजनाओं पर कार्य करेंगे। अनुसंधान का विषय ऐसा होना चाहिए जो अध्येत्तावृत्ति प्रदान करने वाले संस्थान के संसाधनों और सुविधाओं के साथ संचालित किया जा सके, यद्यपि वे अन्य संस्थान के संसाधनों और सुविधाओं का उपयोग करने के लिए भी स्वतंत्र होंगे। यदि अनुसंधान का विषय एक संस्थान से अधिक तक विस्तारित होता है अथवा अध्येत्ता को अन्य संस्थानों के संसाधनों और सुविधाओं का उपयोग करने की आवश्यकता होती है तो अध्येत्तावृत्ति प्रदान करने वाला संस्थान अध्येत्ता के नॉडल संस्थान के रूप में कार्य करेगा तथा ऐसे अन्य संस्थानों के लिए अध्येत्ता की सिफारिश करेगा।
6.2 शुरुआत में प्रति वर्ष 15 अध्येत्तावृत्ति होंगी। इनकी संख्या बाद में बढ़ाई जा सकती है। एक संस्थान एक वर्ष में अधिकतम दो अध्येत्तावृत्तियां प्रदान कर सकता है लेकिन आपवादिक मामलों में एनएससी को इस शर्त में छूट प्रदान करने का विवाकाधिकार होगा।
7.1 भारत के किसी विश्वविद्यालय, कॉलेज अथवा सरकारी संस्थान का अतिथि अध्येत्ता ग्रेड वेतन सहित उस वेतन का हकदार होगा, जो वह अपने मूल संगठन में यदि कार्य करता तो उसे अध्येत्ता के रूप में प्राप्त होता। सीपीएफ आदि के लिए नियोक्ता का आवश्यक अथवा अनिवार्य अंशदान भी वैसे ही प्रदान किया जाएगा जैसा कि अध्येत्ता के मूल संगठन में उसके कार्य जारी रखने पर नियोक्ता द्वारा भुगतान किया जाता।
7.2 विदेशी अथवा विश्वविद्यालय, कॉलेज अथवा सरकारी संस्थान के अलावा अन्य संस्थानों के अध्येत्ता अथवा ऐसे अध्येत्ता जो सक्रिय सेवा से सेवानिवृत्त हो गए हैं और/अथवा पेंशनधारक हैं, ऐसे अध्येत्ता 80,000/- रुपए प्रति माह के निर्धारित मानदेय के हकदार होंगे।
7.3 एनएससी द्वारा यथा निर्धारित ऐसी अतिरिक्त धनराशि का अन्य स्रोतों से धनराशि प्राप्त करने वाले अध्येत्ता को भुगतान किया जाएगा ताकि उसकी कुल परिलब्धियों को मानदेय के स्तर तक लाया जा सके।
7.4 ऐसे अध्येता को मानदेय का कोई भुगतान नहीं किया जाएगा जो मानदेय के बराबर अन्य स्रोतों से पूंजी राशि प्राप्त कर रहा हो। तथापि, ऐसे अध्येता को आकस्मिक अनुदान और अन्य भत्ते आदि सुविधाएं, जो एन एस सी द्वारा तय की गई हों, प्राप्त होंगी।
विदेश में रहने वाले अथवा सेवा करने वाले विदेशी अनुसंधान अध्येता और भारतीय अनुसंधान अध्येता को अध्येतावृत्ति की अवधि के दौरान एक बार नोडल संस्थान द्वारा देश से अपने निवास अथवा अपने निवास से देश तक इकोनॉमी श्रेणी का वापसी हवाई किराया दिया जाएगा/प्रतिपूर्ति की जाएगी। स्कीम के तहत अध्येतावृत्ति लेने वाले सभी अध्येताओं के लिए अध्येतावृत्ति की अवधि के दौरान 2.50 लाख रु. प्रतिवर्ष की सीमा तक रखे जाने वाले अनुसंधान सहायकों को शैक्षिक यात्रा करने के लिए आकस्मिक व्यय ‘वास्तविकता’के आधार पर प्रतिपूर्ति की जाएगी। आकस्मिक अनुदान की समुचित निगरानी और नियंत्रण के लिए, नोडल संस्थान इस उद्देश्य के लिए एक कंट्रोल रजिस्टर रखेगा।
अध्येतावृत्ति की अवधि अधिकतम दो वर्ष की होगी। आपवादिक मामलों में संस्थान, एनएससी को, इसके द्वारा दिए गए कार्य की गुणवत्ता के मूल्यांकन द्वारा समर्थित होने पर एक और वर्ष तक विस्तार की अवधि के लिए या दो वर्ष से कुछ कम की अवधि की सिफारिश कर सकता है। अध्येतावृत्ति कार्यभार ग्रहण की तारीख से दी गई मानी जाएगी और ‘महीनों’व ‘वर्षों’की गिनती तदनुसार की जाएगी।
10.1 संस्कृति मंत्रालय अथवा संबंधित संस्थान अध्येतावृत्ति का व्यापक रूप से राष्ट्रीय/क्षेत्रीय समाचार पत्र जिनके पाठकों की संख्या अधिक हो और अपनी वेबसाइट पर, (जिसमें पूरे विवरण होने चाहिएं) तथा संबंधित क्षेत्र में व्यावसायिक संगठनों/फोरम के माध्यम से स्कीम का प्रचार भी करेगी ताकि स्कीम का अधिकाधिक प्रचार हो। तथापि, उम्मीदवारों का चयन केवल उन तक सीमित नहीं रहेगा, जिन्होंने विज्ञापन का जवाब दिया है। संस्थान को स्व:प्रेरणा से यह विचार करने की स्वतंत्रता होगी कि वह एनएससी को सिफारिश करने के लिए ऐसे प्रतिष्ठित अध्येत्ताओं के नामों पर विचार कर सकें, जो संस्थान के निदेशक अथवा अध्यक्ष की राय में इससे संबंधित प्रासंगिक विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं। अंतिम निर्णय एनएससी का होगा और यह संबंधित संस्थान के साथ विचार-विमर्श करके किसी प्रतिष्ठित अध्येत्ता को भागीदार संस्थान के अध्येत्ता के रूप में आमंत्रित कर सकता है।
10.2 प्रत्येक संस्थान द्वारा एक जांच समिति गठित की जाएगी और संस्थान के निदेशक अथवा अध्यक्ष द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाएगी और इसमें शासी निकाय, न्यासी बोर्ड अथवा मंत्रालय, जैसा मामला हो, द्वारा कम से कम दो अकादमीविद और दो कार्मिकों को नामित किया जाएगा। अध्ययन की प्रासंगिकता और संबंधित संस्थान के लिए इसकी आवश्यकता चयन का आधार होगी। यह कार्य दो चरण में किया जाएगा। इसके प्रथम चरण में उम्मीदवारों की एक संक्षिप्त सूची बनाई जाएगी जिसे जांच समिति प्रक्रिया के एक भाग के रूप में व्यापक रूप से उल्लिखित मानदंडों के अनुसार तैयार किया जाएगा। दूसरे चरण में एनएससी द्वारा संक्षिप्त सूची वाले उम्मीदवारों के आवेदनों/नामों पर प्रत्येक संस्थान के लिए पृथक रूप से विचार किया जाएगा। सचिव (संस्कृति) एनएससी के संयोजक होंगे और संस्थान के निदेशक अथवा अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य होंगे। एनएससी के अन्य सदस्य प्रतिष्ठित विद्वान अथवा कलाकार अथवा विशेषज्ञ होंगे जिनकी सिफारिश भागीदार संस्थानों द्वारा की जाएगी और मंत्रालय द्वारा उन्हें नियुक्त किया जाएगा। अध्येत्ताओं के चयन करने तथा अध्येत्तावृत्ति के संचालन पर विचार करने के लिए एनएससी वर्ष में दो बार बैठक करेगी।
प्रत्येक संस्थान द्वारा प्रबंधित फेलोषिप की कुल संख्या, भाग लेने वाली संस्थाओं के परामर्श से समय-समय पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा तय की जाएगी। यह, संस्था में पहले ही विद्यमान वास्तविक सुविधाओं, अध्येता की योग्यताओं को भरपूर लाभ उठाने के लिए उन्हें गाइड और प्रेरित करने की संस्थान की क्षमता, प्रकाशन तथा अनुसंधान में इसके पिछले रिकार्ड के विशेष क्षेत्र आदि में अनुसंधान/अध्ययन की आवश्यकता जैसे कतिपय मानदंडों पर आधारित होगी। कुल आबंटन की 2 प्रतिशत की राशि, स्कीम के संचालन से संबंधित खर्चों को वहन करने के लिए अलग से रखी जाए तथा इसमें आउटसोर्सिंग अथवा परामर्श के माध्यम से अध्येता द्वारा पूरे किए गए अनुसंधान कार्य की निगरानी, क्रियान्वयन, निरीक्षण, पुनरीक्षा आदि शामिल है।
उम्मीदवार सादे कागज पर अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं जिसमें जीवनवृत्त, प्रकाशनों की सूची, उन कार्यों के संक्षिप्त विवरण जिन्हें वे करना चाहते हैं उसके संबंध में एक पृष्ठ सहित अन्य संगत दस्तावेज तथा दो निर्णायकों के नाम उनके संपर्क विवरण सहित शामिल होने चाहिए। आवेदक को इसके साथ एक घोषणा भी संलग्न करनी होगी जिसमें यह उल्लेख होगा कि यदि अध्येत्तावृत्ति के लिए उनका चयन होता है तो वह अध्येत्तावृत्ति की अवधि को पूरा करेंगे।
अध्येतावृत्ति की राशि नोडल संस्थान द्वारा प्रत्येक अध्येता को मासिक आधार पर जारी की जाए। सभी अध्येता, नोडल संस्थान को अध्येतावृत्ति की अवधि के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे। अध्येता से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह नोडल संस्थान को छमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करे और इन्हें इन पर टिप्पणियों के साथ नोडल संस्थान द्वारा एन एस सी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। यदि अध्येता द्वारा प्रस्तुत की गई छमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा में यह निष्कर्ष निकलता है कि किया गया कार्य असंतोषजनक है और यदि एन एस सी की यह राय हो कि आगे के अनुदान बन्द अथवा कम कर दिये जाएं, तो तदनुसार नोडल संस्थान को अनुदेश दिया जाएगा। वैसे अध्येता को निधि प्रवाह निर्बाध रूप से जारी रहना चाहिए।
14.1 नोडल संस्थान द्वारा अध्येताओं को बुनियादी ढांचागत सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे अपना शोध कार्य कर सकें। इसमें पेरिफिरल व संयोजकता युक्त कम्प्यूटर तथा संस्थान की सुविधाओं में कार्य स्थल प्रदान करना शामिल होगा, ताकि शोध करने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके। बैठने की उपयुक्त व्यवस्था, पुस्तकालय सुविधाओं जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। इन अध्येतावृत्तियों का एक महत्वपूर्ण लाभ अध्येताओं को अध्ययन व शोध सामग्री के लिए राष्ट्रीय संस्थानों में सुगम्यता होगी। इस स्कीम के तहत रखे गए विदेशी अध्येताओं के संबंध में, संबंधित मंत्रालयों/विभागों से अनिवार्य राजनीतिक/सुरक्षा निकासी, संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्राप्त की जाएगी। संबंधित संस्थाओं के प्रमुख संस्थान में कार्यरत सभी अध्येताओं के लिए नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। संस्कृति मंत्रालय में इस स्कीम के प्रभारी निदेशक/उप सचिव, स्कीम के कार्यान्वयन को मॉनीटर करने के लिए नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे।
14.2 प्रोत्साहन तथा वित्तीय सहायता भी दी जा सकती है ताकि अध्येता, संबंधित संस्थान या अन्य सम्बद्ध संस्थानों और संगठनों द्वारा आयोजित सम्मेलनों में दस्तावेज प्रस्तुत कर सकें, जिसकी ‘‘वास्तविक आंकड़ों’ के आधार पर प्रतिवर्ष अधिकतम 1.00 लाख रु. तक की प्रति पूर्ति की जाएगी/उसका भुगतान किया जाएगा बशर्ते कि पर्याप्त शैक्षिक पारस्परिकता की व्यवस्था की गई हो।
कोई अध्येता अपने वेतन, जिसमें ग्रेड वेतन अथवा दिया गया मानदेय शामिल है, किराया की रसीद प्रस्तुत करने पर 30 प्रतिशत तक आवास भत्ते का पात्र होगा।
बाहर के एक अध्येता को एक लाख रूपये का एकमुष्त अनुदान अध्येतावृत्ति की अवधि के दौरान उसके रहने के पुराने स्टेशन से नये स्टेशन तक उसके व्यक्तिगत सामान की पैकिंग तथा परिवहन के लिए व्यवस्था भत्ता के रूप में दिए जाएंगे, यदि वह स्टेशन छोड़ता है अथवा अन्यथा, किताबों, शैक्षिक वस्तुओं को ले जाता है। स्टेशन छोड़ने के लिए भत्ते के बराबर की राशि अध्येतावृत्ति की समाप्ति पर दी जाएगी। अध्येतावृत्ति की समाप्ति पर और कार्यभार ग्रहण करने पर अपने स्थान/आवासीय देश से इकॉनॉमी हवाई यात्रा किराया प्रदान किया जाएगा/उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।
किसी अध्येता के लिए अपेक्षित होगा:-
- अध्येतावृत्ति के अन्तर्गत अपने अनुसंधान के विषय पर प्रतिवर्ष एक सार्वजनिक व्याख्यान देना।
- संबंधित संस्थान द्वारा परियोजना के पूरा होने पर प्रत्येक अध्येता के अनुसंधान कार्य को प्रकाशित किया जाएगा। अध्येतावृत्ति प्रदान करने के परिणामस्वरूप होने वाले अनुसंधान कार्य के अधिकार का स्वामित्व संस्थान के पास होगा। कॉपिराइट संबंधी विषयों के अध्यधीन रहते हुए, राष्ट्रीय सास्कृतिक संस्थान के सहयोग से अध्येता के शोध के परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाले अकादमिक निष्कर्षों को इंटरनेट / वेब प्रकाशन के माध्यम से भी लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।
- यदि संस्थान द्वारा पुस्तक के वास्तविक मुद्रण में कोई सहायता प्रदान नहीं की जाती है तो अध्येतावृत्ति के पूरा होने के पश्चात् अध्येता को यह स्वतंत्रता होगी कि वह संस्कृति मंत्रालय के योगदान को दर्शाते हुए और संबंधित संस्थान के अधिकारों को विधिवत मानते हुए इसे किसी निजी प्रकाशक से प्रकाशित करवा सकता है।
एक बार अध्येतावृत्ति प्रदान किए जाने पर उम्मीदवार, उसी या इस स्कीम के तहत शामिल अन्य किसी संस्थान में आवेदन नहीं कर सकता।