सप्ताह का प्रादर्श-155 (18 से 24 मई 2023 तक)

सप्ताह का प्रादर्श-155

(18 से 24 मई 2023 तक)

बनबीबी

बनबीबी की एक स्क्रॉल पेंटिंग

 

बनबीबी जंगल की संरक्षक देवी के रूप में जानी जाती है और जंगल में प्रवेश करने से पहले 'बौलिस' (लकड़हारे), "मौल्स" (शहद संग्राहक) और मछुआरों द्वारा इस आशा में पूजी जाती हैं कि वह बाघ के हमले से उनकी रक्षा करेगी। बनबीबी सुंदरबन के जंगल की प्रभावशाली संरक्षक देवी हैं । माना जाता है कि वह बाघों की आवाजाही को नियंत्रित कर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं और वन उत्पादों के संग्रहण में उनकी मदद करती हैं।


उन्हें बोनबीबी, बन देवी, ब्याघ्र देवी के रूप में भी जाना जाता है, जो सुंदरबन डेल्टा में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए पूज्यनीय हैं। बनबीबी की कहानी को दर्शाती यह स्क्रॉल पेंटिंग हस्तनिर्मित कागज पर बना कर कपड़े पर चिपकाई गई है। यह पेंटिंग प्राकृतिक रंगों और गोंद के सम्मिश्रण से बनाई जाती है। इस पेंटिंग में गाजी पीर और बनबीबी को एक साथ दर्शाया गया है, जो जंगल में बाघों, मगरमच्छों और अन्य जंगली जानवरों के हमले से सुंदरवन के निवासियों के रक्षक के रूप में भी जाने जाते हैं। इस चित्र के अलग-अलग पटों में एक छोटे से लड़के दुखे, जिसके जीवन की रक्षा बनबीबी ने की थी, की कहानी को चित्रित किया गया है । वह एक बहुत गरीब लड़का था, जो अपनी विधवा मां के साथ रहता था। उसे उसके चाचा धोना द्वारा केदोखली द्वीप में छोड़ दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि यह एकमात्र द्वीप अभी भी दखिन राय के नियंत्रण में है। दखिन राय को पेंटिंग में एक राक्षस के रूप में चित्रित किया गया है। दुखे को बाघ द्वारा खाया जाना था लेकिन बनबीबी ने उसकी जान बचाई और उसे उसकी माँ के पास वापस भेज दिया।

वनवासी स्वयं को गरीब दुखे के रूप में देखते हैं और जंगल में प्रवेश करने से पहले बनबीबी की पूजा करते हैं।

आरोहण क्रमांक T/2015.224
स्थानीय नाम- बनबीबी, बनबीबी की एक स्क्रॉल पेंटिंग
समुदाय- लोक
स्थान- प. मेदिनीपुर,पश्चिम बंगाल
माप- ऊंचाई 109.5", चौड़ाई-22"

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Date: May 18, 2023