मौसम परियोजना

मौसम : समुद्री मार्ग और सांस्‍कृतिक परिदृश्‍य

मौसम परियोजना संस्‍कृति मंत्रालय की परियोजना है जिसे सहयोगी निकायों के रूप में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण और राष्‍ट्रीय संग्रहालय की सहायता से नोडल समन्‍वय एजेंसी के रूप में इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केद्र, नई दिल्‍ली द्वारा कार्यान्‍वित किया जाता है।

परियोजना की शुरुआत

विश्‍व विरासत सूची पर पार देशी मिश्रित मार्ग (प्राकृतिक और सांस्‍कृतिक विरासत सहित) दर्शाने वाली इस परियोजना के अनूठे विचार की सराहना 20 जून, 2014 को दोहा, कतर में 38वें विश्‍व विरासत सत्र में भारत द्वारा परियोजना की शुरूआत के दौरान की गई थी। यूनेस्‍को के महानिदेशक ने इस अनूठी परियोजना को प्रारंभ करने में भारत की पहल की सराहना की और चीन, संयुक्‍त अरब अमीरात, कतर, इरान, म्‍यांमार और वियतनाम सहित अनेक देशों के राजदूतों ने इस बहुआयामी सांस्‍कृतिक परियोजना में गहरी रुचि दिखाई। (वीडियो संल्‍गन करें)

परियोजना के बारे में

मानसून पद्धतियों, सांस्‍कृतिक मार्गों और समुद्री परिदृश्‍यों पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए, 'मौसम' परियोजना में उन मुख्‍य प्रक्रियाओं और परिदृश्‍य की जांच की जा रही है जो हिन्‍द महासागर तटीय के विभिन्‍न भागों के साथ-साथ उन भागों को भी जोड़ती है जो तटीय केंद्र अपने समुद्री तटक्षेत्र से जुड़े हैं। व्‍यापक रूप से 'मौसम' परियोजना का लक्ष्‍य यह समझना है कि मानसून हवओं के ज्ञान और चालन ने हिन्‍द महासागर आरपार पारस्‍परिक प्रभाव को किस प्रकार रूपायित किया है और समुदी मार्गों पर सहभागी ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं, प्रौद्योगिकियों तथा विचारों का प्रसार किया है। विभिन्‍न तटीय केंद्रों और उनके आसपास के परिप्रदशों द्वारा संबंधित कालानुक्रमिक तथा स्‍थानिक संदर्भों में उनके परिवर्तनों को सुविधाजनक बनाया गया तथा इसके साथ-साथ उन्‍हें प्रभावित किया।

'मौसम' परियोजना का प्रयास दो स्‍तरों पर स्‍वयं को अवस्‍थित करता है :

  • वृहत् स्‍तर पर इसका लक्ष्‍य हिंद महासागर के भूभाग के देशों के बीच संचर को फिर से जोड़ना और फिर से स्‍थापित करना है जिससे सांस्‍कृतिक मूल्‍यों और सरोकारों की समझ बेहतर होगी।
  • सूक्ष्‍म स्‍तर पर इसका ध्‍यान उनके क्षेत्रीय समुद्री वातावरण में राष्‍ट्रीय संवर्धन को समझना है।

परियोजना के कार्य क्षेत्र अनेक विषयों के अंतर्गत आते हैं जिनका अनुसंधान यूनेस्‍को के विभिन्‍न सांस्‍कृतिक अभिसमयों के माध्‍यम से किया जाना है जिस पर नोडल एजेंसी के रूप में संस्‍कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के साथ भारत सरकार हस्‍ताक्षरकर्ता है।

अब तक की गई पहल

इस नई परियोजना पर प्रारंभिक कार्य शुरू किए जा चुके हैं। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आई आई सी) नई दिल्‍ली में आई पी एन सी ए, राष्‍ट्रीय स्‍मारक प्राधिकरण (एन एम ए), नई दिल्‍ली और आई एल सी के सहयोग से मासिक व्‍याख्‍यान की एक श्रृंखला आयोजित की गई है। फरवरी 2015 में निर्धारित पहला अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय अनुसंधान साझेदारों और सहयोगियों के साथ आयोजित किया जा रहा है। आई जी एन सी ए स्‍थित अनुसंधान यूनिट सभी अभिचिह्नत संगठनों और संसथानों से आंकड़े एकत्र कर रहा है और फरवरी, 2015 में अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन से पूर्व राष्‍ट्रीय कार्यशालाओं की एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है। आई जी एन सी ए ने परियोजना के लिए एक वेबपेज तैयार किया है तथा इस परियोजना के बारे में और अधिक जानकारी http://ignca.nic.in/mausam.htmExternal Link that opens in a new window से प्राप्‍त की जा सकती है।

  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
  • http://nmi.nic.in/
  • https://mygov.in