अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए योजना

उद्देश्यै

भारत के पास उत्कृ्ष्टा कृतियों वाली जीवंत और विविध सांस्कृयतिक परंपराएं, पारंपरिक अभिव्येक्तियां अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की विशाल धरोहर मौजूद है, जिसे सांस्कृ,तिक विरासत के इन कला रूपों के अस्तित्व और प्रचार-प्रसार के लिए महत्वैपूर्ण क्षेत्रों का समाधान करने के उद्देश्या से संस्था गत सहायता प्रदान करने और प्रोत्सािहित करने की आवश्य्कता है। यद्यपि, ऐसे परिरक्षण संबंधी प्रयास खंडित रूप से किए जा रहे है, अत: एक संस्थापगत और केन्द्री यकृत स्की्म की अपेक्षा महसूस की जा रही है, ताकि अमूर्त सांस्कृपतिक विरासत (आईसीएच) में व्यादवसायिक रूप से जागरूकता और रूचि बढ़ाने, इसे सुव्यावस्थित रूप से संरक्षित करने, संवर्धित करने और प्रचार-प्रचार करने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा सकें।

इस प्रयोजनार्थ, संस्कृरति मंत्रालय ने विभिन्नर संस्थाकओं, समूहों, व्य क्तियों, चिन्हित गैर-संस्कृ ति मंत्रालय की संस्था ओं, गैर-सरकारी संगठनों, अनुसंधान कर्ताओं तथा विद्वानों पर पुन: बल देने और इन्हेंम पुनर्जीवित करने संबंधी उद्देश्यत के साथ ''भारत की अमूर्त सांस्कृवतिक विरासत और विविध सांस्कृंतिक परंपराओं का संरक्षण स्कीदम'' नामक एक स्की म तैयार की है, ताकि ये भारत की समृद्ध अमूर्त सांस्कृ तिक विरासत के सुदृढ़ीकरण, संरक्षण, परिरक्षण और संवर्धन के लिए कार्यकलापों/परियोजनाओं हेतु कार्य कर सके।

इस स्कीम में अमूर्त सांस्कृकतिक विरासत, मंच कला, सामाजिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों और उत्सव घटनाक्रमों, प्रकृति और विश्व‍ से संबंधित ज्ञान तथा प्रथाओं, पारंपरिक शिल्पन कौशल आदि के माध्य‍म के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएं और अभिव्य क्तियां जैसे आईसीएच विषयक सभी मान्य ता प्राप्ते कार्यक्षेत्र शामिल होंगे।

कार्य क्षेत्र

इस स्कीम का उद्देश्यी, विभिन्नर पणधारियों के प्रयासों की तुलना में यूनेस्कोढ द्वारा इसकी मान्यकता सहित भारत की समृद्ध, विविध एवं विशाल अमूर्त सांस्कृ‍तिक विरासत की व्यापक मान्यता और स्वीकार्यता, प्रचार-प्रसार, परिरक्षण एवं संवर्धन हेतु समर्थन और इसे सुदृढ़ करने का है। इस स्कीम का उद्देश्य निम्नकलिखित की सहायता प्रदान करना है :-

  1. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत, सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों आदि के परिरक्षण और प्रचार-प्रसार में कार्यरत संस्थाएं/विश्वविद्यालय/राज्य सरकारें/संघ-राज्याक्षेत्र प्रशासन/गैर-संस्कृति मंत्रालय की संस्थाएं/सोसायटियां/गैर-सरकारी संगठनों को सहायता प्रदान करना। .
  2. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत, सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों आदि के अनुसंधान, प्रशिक्षण, परिरक्षण, स्थायीकरण, प्रसार और प्रचार में कार्यरत व्यक्तियों, अनुसंधानकर्ताओं, विद्वानों, व्यावसायिकों को सहायता प्रदान करना।

स्कीम के अंतर्गत सहायता

इस स्कीम के अंतर्गत सहायता, इन सांस्कृतिक परंपराओं/अभिव्यक्तियों को जीवंत बनाए रखने में शामिल उपरोक्त पैरा 4 में उल्लिखित संगठनों/व्याक्तियों आदि को सुदृढ़ करते हुए आई सी एच के सभी रूपों के अस्तित्व और प्रचार-प्रसार के साथ-साथ कार्यशालाओं के लिए छात्रों, कलाकारों, प्रदर्शकों से लेकर वृतिकों को प्रशिक्षण सहायता देते हुए इन्हें परिरक्षित करने, प्रसारित करने, संवर्धित करने आदि, कलाकारों का प्रलेखन करने, डाटा बेस सृजन करने, और शिक्षा एवं संस्‍कृति आदि का समन्वय करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों का समाधान करने के उद्देश्य से, अनावर्ती अनुदान, मानदेय, अवसरंचना आदि के रूप में प्रदान की जाएगी।

सहायता, आईसीएच से संबंधित लघु अनुसंधान और संदर्भित कार्य, इसकी प्रस्तुति, संवर्धन के साथ-साथ आईसीएच पर ध्यान केन्द्रित करने वाली विरासत शिक्षा, विरासत को लोकप्रिय बनाने तथा प्रकाशन कार्य आदि के क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए भी दी जाएगी।

स्कीम के अंतर्गत समर्थित किए जाने वाले कार्यकलाप

इस स्कीम का स्वरूप अधिक व्यापक है, क्योंकि यह भारत के सभी आईसीएच रूपों को कवर करती है। संस्कृति मंत्रालय पहले से ही सांस्कृतिक समारोह अनुदान स्कीम, वेतन/निर्माण अनुदान स्कीम, छात्रवृत्ति/अध्येतावृत्ति स्कीम जैसी अनेक स्कीमें संचालित कर रहा है। ये स्कीमें भारत की आईसीएच का परिरक्षण और संवर्धन करने के लिए केवल विशिष्ट क्षेत्रों को कवर करती हैं। तथापि, यह स्कीम एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए आईसीएच के सभी मान्यता प्राप्त कार्यक्षेत्रों की संपूर्ण श्रेणी के साथ-साथ भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को कवर करती है। तदनुसार, भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत/विविध सांस्कृतिक परंपराओं से संबंधित निम्नलिखित कार्यकलापों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी :-

  1. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की विस्तृत सूची के लिए राष्ट्रीय/राज्य/जिला/स्थानीय स्तर की पंजिका सृजित करने के प्रयोजनार्थ प्रलेखन/डाटा सृजन/ सूचीकरण आदि करना।
  2. यूनेस्को. द्वारा अभिलेख के लिए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के नामांकन डोजियरों को तैयार करने सहित भारत की अमूर्त सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों/विविध सांस्कृतिक परम्पराओं की उत्कृष्ट कृतियों का परिरक्षण, सहायता और संरक्षण करना, ताकि इन कला रूपों के अस्तित्व और प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों का समाधान किया जा सके, इन क्षेत्रों में छात्रों और कलाकारों को प्रशिक्षण सहायता देना, कार्यशालाओं के लिए कलाकारों को सहायता प्रदान करना, विभिन्न मीडिया के माध्यम से कला-प्रस्तुतियों का प्रलेखन करना और डाटा बेस का सृजन करना, प्रचार-प्रसार के लिए सहायता देना आदि।
  3. भारत की आईसीएच/विविध सांस्कृतिक परंपराओं के संदर्भ में शिक्षा और संस्कृति के समेकन हेतु कार्यकलाप।
  4. राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षण अर्हता रूपरेखा (एनवीईक्यूरएफ) के अंतर्गत कला से संबंधित क्षेत्र कौशल परिषदों को स्थापित करने में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल का समर्थन करना।

पात्रता मानदण्ड/शर्तें

स्कीम के तहत वित्तीय सहायता की राशि एवं विस्तृत पात्रता मानदण्ड निम्नानुसार हैं :

  1. आवेदक संगठनों/संस्थानों/सोसाइटियों/राज्य या संघ राज्य प्रशासनों के पास सुविधाओं व संसाधनों, पूर्व अनुभव (वों) आदि सहित उचित रूप से गठित प्रबंधन/शासकीय परिषद/निकाय होना चाहिए। उन्हें अपने कम से कम पिछले 3 वर्ष के संपरिक्षित लेखाओं का विवरण भी प्रस्तुत करना होगा।
  2. संगठनों/संस्थानों/पंजीकृत निकायों/राज्य सरकारों/संघ राज्य प्रशासन, अकादमियों / विश्वद्यालयों, सोसाइटियों, के लिए विशिष्ट परियोजनाओं हेतु वित्तीय सहायता की राशि 10 लाख रूपयों तक होगी। व्यक्तियों के लिए, सहायता की राशि 5 लाख रू. तक होगी।
  3. यह अनुदान 3 किश्तों में जारी किया जाएगा-50 प्रतिशत अग्रिम रूप से, 25 प्रतिशत मूल्यांकन के पश्चात दूसरी किश्त के रूप में और शेष 25 प्रतिशत परियोजना/क्रियाकलाप के पूरा होने और उसके प्रमाण के तौर पर संगत दस्तावेज़ प्रस्तुत किए जाने के पश्चात्।
  4. निधि जारी करने का कार्य इलैक्ट्रॉनिक ट्रांसफर द्वारा किया जाएगा।

स्कीम का प्रचार/विज्ञापन

संगीत नाटक अकादमी/ संस्कृति मंत्रालय, दोनों की ही वेबसाइटों और साथ ही साथ प्रिंट मीडिया में इस स्कीम के तहत आवेदन आमंत्रित करने के लिए एक विज्ञापन दिया जाएगा। एक प्रवृत वित्त वर्ष में, आवेदन प्रस्तुत करने हेतु, विज्ञापन छपने की तारीख से 60 दिन की अवधि दी जाएगी।

आवेदनों का प्रस्तुतीकरण

यह आवेदन, संलग्न निर्धारित प्रारूप में उसमें उल्लिखित विवरणानुसार ''सचिव, संगीत नाटक अकादमी, तृतीय तल, रबीन्द्र भवन (मंडी हाऊस दूरदर्शन केंद्र के सामने), 35 फिरोज़ शाह रोड, नई दिल्ली 110001'' (website: sangeetnatak.gov.in) को संबोधित किया जाना चाहिए। अपूर्ण आवेदन या आवेदन प्रस्तुत किए जाने की निर्धारित अंतिम तिथि के पश्चात प्राप्त आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

आवेदनों पर आगे की कार्रवाई

  1. आवेदनों की प्राप्ति के पश्चात्, आवेदनों पर आगे की कार्रवाई संगीत नाटक अकादमी द्वारा की जाएगी।
  2. कोई प्रस्ताव/आवेदन जो संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत विशिष्ट स्कीमों के तहत कवर होता हो, उस पर इस स्कीम के अंतर्गत विचार नहीं किया जाएगा तथा आवेदक को तद्नुसार सूचित कर दिया जाएगा। इस प्रयोजन हेतु, स्कीम के अंतर्गत उल्लिखित विशेषज्ञ समिति में से एक उप-समिति/उप-समूह का गठन किया जाएगा जो प्रस्तावों/आवेदनों की संवीक्षा/छानबीन करेगा।
  3. पूर्ण आवेदनों को हर दो वर्ष में गठित होने वाली विशेषज्ञ समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
  4. विशेषज्ञ समिति, परियोजना की सिफारिश करते हुए, प्रस्तावित क्रियाकलाप के पूरा होने के समयांतराल निर्धारित करेगी ताकि दूसरी/तीसरी किस्तों का दावा प्रस्तु्त किया जा सके।
  5. विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के लिए संस्कृति मंत्रालय को भेजी जाएंगी।
  6. सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के पश्चात्, अनुमोदित प्रस्तावों/मामलों की सूची संगीत नाटक अकादमी/संस्कृति की वेबसाइटों पर दर्शाई जाएगी। इसके अलावा, संबंधित प्रस्तावकों/आवेदकों को अलग से सूचनाएं भिजवाई जाएंगी।
  7. सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के पश्चात्, संस्वीकृत राशि की पहली किस्त/ इलैक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के द्वारा जारी कर दी जाएगी।
  8. निधियों की दूसरी किस्त जारी होने से पूर्व विशेषज्ञ समिति, या संगीत नाटक अकादमी के सदस्यों या संस्कृति मंत्रालय या उसके किसी संगठन सहित किसी नामित एजेंसी/पदधारी द्वारा परियोजना का मूल्यांकन किया जाएगा। यदि समय-सीमा का पालन नहीं किया गया हो, जैसाकि ऊपर पैरा (iv) में वर्णित है, तो अयोग्यता/वसूली उपबंध लगाया जा सकता है।
  9. निधियन की अंतिम किस्त परियोजना के पूरा होने एवं उसके प्रमाण के रूप में दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के पश्चात जारी की जाएगी। ये किस्तें 50 : 25 : 25 के अनुपात में जारी की जाएंगी।

आवेदन के साथ उपलब्ध करवाए जाने वाले दस्तावेज

  1. संगठनों / संस्थांनों / समूहों के लिए
    1. पंजीकरण प्रमाण-पत्र/अधिनियम/संरकारी संकल्प या आदेश जिसके तहत वह संगठन एक विधिक निकाय बना।
    2. संगठन का गठन, एसोसिएशन का ज्ञापन, नियम एवं नियमावलियां, जहां लागू हो।
    3. प्रबंधन बोर्ड एवं/या शासी निकाय का वर्तमान संघटन।
    4. नवीनतम उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट की प्रति।
    5. जिस प्रस्ताव के लिए सहायता का अनुरोध किया गया हो, उसकी अवधि तथा परियोजना के लिए नियोजित किए जाने वाले स्टाफ/व्यक्ति(यों), यदि कोई हो, की अर्हताएं व अनुभव सहित विवरण सम्मिलित करते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव।
    6. निधियां प्राप्त करने के स्रोतों तथा मद-वार विवरण देते हुए प्रस्ताव का वित्तीय विवरण।
    7. एक वचनपत्र जिसमें यह कहा गया हो कि संस्कृति मंत्रालय या उसके संगठनों की किसी अन्य स्कीम के तहत कोई मिलता जुलता प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है।
    8. आवेदक संगठन/संस्थान का पिछले तीन वर्ष का आय एवं व्यैय विवरण तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट या सरकारी लेखा-परीक्षक द्वारा प्रमाणित गत वर्ष के तुलन पत्र की प्रति।
    9. समुचित राशि के स्टैम्प पेपर पर एक निर्धारित प्रपत्र में, आवेदक संगठन के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताकक्षरित क्षतिपूर्ति बंधपत्र।
    10. संस्वीकृत निधियों के इलैक्ट्रॉनिक ट्रांसफर परिचालित करने के लिए एक निर्धारित पत्र में, बैंक अकाउंट का विवरण।
  2. व्यक्तियों के लिए
    1. व्यक्तियों द्वारा प्रस्तु्त प्रस्ताव के लिए, उपर्युक्त विनिर्दिष्ट दस्तावेज में से, उपरोक्ता (I) से (IV) में वर्णित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने आवश्यक नहीं हैं। इसके बदले आवेदक अपना निजी ब्यौरा व गत पांच वर्ष में भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में उसके द्वारा किए गए कार्य/कार्यकलापों का एक संक्षिप्त विवरण उपलब्‍ध करवाएगा।
    2. आवेदन में, शैक्षिक अर्हताओं, अनुभवों आदि के संबंध में दिए गए ब्यौ‍रे के समर्थन में, डिग्री, डिप्लोमा व प्रमाण-पत्र, आदि यदि कोई हो, की एक सत्यापित प्रति। किसी भी स्थिति में मूल दस्तावेज संलग्न नहीं किए जाएं।
    3. एक हाल ही का पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ ;
    4. भारत की अमूर्त सांस्कृ्तिक विरासत संबंधी उपलब्धियों तथा किए गए कार्य के दस्तावेज़/फोटोग्राफों की सत्यापित प्रतियां।

अयोग्यता उपबंध

आवेदक द्वारा किए गए वचनपत्र में दिए गए उपबंधों/शर्तों में से कोई भी यदि बाद में झूठा/गलत पाया जाता है तो आवेदक को अयोग्या घोषित कर दिया जाएगा।

विशेषज्ञ समिति

  1. विशेषज्ञ समिति का गठन, संस्कृति मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से, दो कैलेण्डर वर्ष की अवधि के लिए किया जाएगा।
  2. अध्यक्ष सहित, विशेषज्ञ समिति के सदस्यों को भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत/विविध सांस्कृ्तिक पंरपराओं के विभिन्न क्षेत्रों से नामित किया जाएगा जैसा कि संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रस्तावित एवं सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
  3. भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत/विविध संस्कृ्तिक परम्पराओं के प्रख्यात विशेषज्ञ द्वारा विशेषज्ञ समिति की अध्याक्षता की जाएगी।
  4. संस्कृति मंत्रालय से संबंधित संयुक्त सचिव और सचिव, संगीत नाटक अकादमी, समिति के पदेन सदस्य होंगे। सचिव, संगीत नाटक अकादमी या उसके प्रभारी, विशेषज्ञ समिति की बैठकों के संयोजक होंगे।
  5. विशेषज्ञ समिति के सदस्यों की संख्या विभिन्न राज्यों /संघ शासित प्रदेशों (यू टी) की जनसंख्या के समानुपातिक होगी। सामान्यत:, संबंधित राज्य /यू टी की प्रत्येक चार करोड़ की जनसंख्या हेतु एक सदस्य का चयन किया जाएगा। राज्यों /यूटीज के मामले में इस मानदण्ड में छूट दी जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक राज्य/यूटी से कम से कम एक सदस्य चुना जाए।
  6. स्कीम के उद्देश्यों के संदर्भ में विशेषज्ञ समिति के सदस्यों में से उप-समिति (यों)/समूह (हों) का गठन किया जा सकता है। प्रत्येक उप-समिति/समूह से कम से कम 7 सदस्य होंगे।

अवसंरचना का सृजन/विकास

स्कीम के अंतर्गत अवसंरचना के सृजन व वास्तविक परिसंपत्तियों के लिए कोई निधि प्रदान नहीं की जाएगी।

अनुवीक्षण प्रणाली

विशेषज्ञ समिति/उप-समिति या संस्कृति मंत्रालय या उसके किसी संगठन सहित किसी अन्य नामित एजेंसी/पदधारियों द्वारा किसी भी समय, लाभार्थी का मूल्यांकन/निरीक्षण किया जा सकता है। संस्कृ्ति मंत्रालय, स्कीम के कार्यान्वयन के संबंध में, आवधिक रिपोर्टों/रिटर्न आदि के द्वारा सूचना भिजवाई जाती रहेगी। संस्कृति मंत्रालय में संबंधित संयुक्त सचिव, किसी भी समय स्कीम से संबंधित पदधारियों सहित कोई भी ब्यौरे/सूचना मांग सकते हैं।

वित्तीय विनियमों का अनुपालन

जी.एफ.आर/डी एफ पी आर के प्रावधानों जिसमें अनुदान प्राप्तकर्ता/लाभार्थी द्वारा देय उपयोगिता प्रमाण-पत्र के अग्रिम निपटान से संबंधित प्रावधान भी सम्मिलित हैं, सहित सभी वित्तीय विनियमों/अनुदेशों का पालन किया जाएगा। तद्नुसार, कार्यान्वयन एजेंसी के लेखाओं का नियंत्रक एवं महालेखा-परीक्षक द्वारा लेखा-परीक्षा/निरीक्षण किया जा सकता है जिसमें सी सी ए/ संस्कृति मंत्रालय द्वारा की जाने वाली आंतरिक लेखा-परीक्षा भी शामिल है।

दिशानिर्देशों में छूट/संशोधन

सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्कीम के अधीन की जाने वाली प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए इन दिशानिर्देर्शों में किसी प्रकार की छूट/संशोधन किया जा सकता है अर्थात आई एफ डी/ए एस एवं एफ ए की सहमति से, सचिव (संस्कृति) द्वारा छूट/संशोधन किया जा सकता है।

  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
  • http://nmi.nic.in/
  • https://mygov.in