छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व विक्टोरिया टर्मिनस)

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (विगत में विक्‍टोरिया टर्मिनस)

महाराष्‍ट्र

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में उन्नीसवीं शताब्दी के अंत की रेलवे वास्तुकला का एक उत्कृष्‍ट उदाहरण है। विक्टोरियन गॉथिक पुनरूद्धार और पारंपरिक भारतीय विशेषताएं तथा इसके साथ उनके विकसित संरचनात्म‍क और तकनीकी हल इसकी विशेषता हैं। यह ब्रिटिश राष्ट्र मंडल के भीतर भारतीय उपमहाद्वीप में बॉम्बे (अब मुम्बई) के लिए एक मुख्यर व्यापारिक बंदरगाह का प्रतीक बन गया।

यह भवन जिस जगह स्थित है वह स्थल शहर के रूप में मुंबई के उद्य से जुड़ा हुआ है। बॉम्बे द्वीप ने पश्चिमी भारत में दी हिन्दू की एक तटीय सीमा चौकी तैयार कर ली थी, किंतु उसका उपयोग वाणिज्य के प्रयोजन से नहीं किया जाता था। इसे पहले पुर्तगालियों को सौंपा गया और तत्पश्चात सन् 1661 में ब्रिटिश को। सन् 1667 में, इस टापू को ईस्ट इण्डिया कम्पनी को अंतरित कर दिया गया, जो इसके वाणिज्यिक विकास के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी थी। अन्यत्र से व्यापारी यहां आकर बस गए, और जहाज निर्माण उद्योग और कपास के व्यापार काफी फले-फूले।

शहर के अंदरूनी भागों से रेलवे नेटवर्क के जुड़ने और सन् 1869 में स्वेज़ नहर के खुलने के पश्चात इस शहर का विकास तेज़ी से हुआ। व्यापार के विकास के साथ, बॉम्बे के राज्यपाल ने कार्यों की श्रृंखला की योजना तैयार की थी जिसका उद्देश्य एक प्रतिनिधि शहर का निर्माण करना था।

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