फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी

उत्‍तर प्रदेश

फतेहपुर सीकरी 16वीं शताब्दी के अंत में मुगल सभ्यता के विशेष साक्ष्य का प्रतीक है। यह वर्ष 1571 और 1585 के बीच निर्मित उच्च गुणवता का स्‍थापत्य कला संबंधी प्रभाव का अनुपम उदाहरण पेश करता है। इसकी शैली और अभिन्यास योजना ने भारतीय नगर योजना, मुख्य रूप से शाहजहांबाद (पुरानी दिल्ली) के विकास को काफी प्रभावित किया।

इस ''विजय शहर'' का मुगल साम्राज्य की राजधानी के रूप में केवल एक अल्पकालिक अस्तित्व रहा है। बादशाह अकबर (1556-1605) ने उसी स्थल पर वर्ष 1571 में इसे बनवाने का निर्णय लिया था, जहां उसके पुत्र, भावी जहांगीर के जन्म की ज्ञानी शेख सलीम चिस्ती (1480-1572) द्वारा भविष्यवाणी की गई थी। इस कार्य का पर्यवेक्षण महान मुगल सम्राट द्वारा स्व‍यं किया गया था और वर्ष 1573 में इसे पूरा किया गया था। तथापि, वर्ष 1585 में अफगान कबीलों से युद्ध लड़ने के लिए फतेहपुर सीकरी को छोड़ दिया और एक नई राजधानी, लाहौर को चुना। फतेहपुर सीकरी वर्ष 1619 में तीन माह के लिए एक बार फिर महान मुगल राजदरबार का केन्द्र बनी, जब जहांगीर ने प्लेग से आगरा शहर तबाह होने के कारण यहां पर आश्रय लिया था। इसके बाद इस स्‍थल का पूर्ण रूप से परित्याग कर दिया गया था, जब तक कि इसका वर्ष 1892 में पुरातात्विक अन्वेषण प्रारंभ नहीं किया गया।

तथापि, आगरा से लगभग 40 कि.मी. दूर स्थित बिना किसी भविष्य के यह राजधानी अपने अस्तित्व के 14 वर्षों के दौरान किसी शासक की कल्पना से विशेष रूप से अधिक थी। इस शहर को अंग्रेजी यात्री राल्फव फिच ने ''लंदन से अधिक बड़ा और ज्यादा जनसंख्या वाला'' माना था और इसमें महलों, सार्वजनिक इमारतों और मस्जिदों की श्रृंखलाओं के साथ राज दरबार, सेना, बादशाह के सेवकों और संपूर्ण आबादी जिनके इतिहास दर्ज नहीं किए हैं हेतु के रहने के लिए क्षेत्र सम्‍मलित हैं।

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