रानी की वाव पाटन, गुजरात

रानी की वाव

रानी की वाव

गुजरात

रानी की वाव सरस्‍वती नदी के किनारे स्थित है। शुरूआत में इसे 11वीं सदी में एक राजा के स्‍मारक के रूप में निर्मित किया गया था। सीढ़ीदार कुएं भारतीय उप-महाद्वीप में भूमिगत जल स्रोत एवं संग्रहण प्रणालियों का विशेष तरीका रहे हैं और इन्‍हें 3 हजार ई.पू. से बनाया जाता रहा है। जो कला शुरूआत में केवल रेत के एक गड्डे तक सीमित थी वह कला बाद में कला और स्‍थापत्‍य के व्‍यापक बहु-मंजिला निर्माण कार्य तक विकसित हो गयी। रानी की वाव सीढ़ीदार कुओं के निर्माण की क्षमता की उत्‍कृष्‍टता के साथ बनाया गया था और इस परिसर की तकनीक और बारीकियों तथा अनुपातों की अत्‍यंत सुन्‍दर कला क्षमता को प्रदर्शित करते हुए इसमें मारू-गुर्जर स्‍थापत्‍य शैली का सुन्‍दर उपयोग किया गया है। जल की पवित्रता को उजागर करते हुए एक औंधे मंदिर के रूप में डिजाइन किया गया। यह सीढ़ीदार कुंआ उच्‍च स्‍तरीय कलाकारी से सज्जित मूर्तियों के नक्‍काशी युक्‍त पैनलों सहित सात तलों में विभाजित है; इसमें नक्‍काशी की गई 500 से अधिक बड़ी मूर्तियां है और एक हजार से अधिक छोटी मूर्तियां हैं जिनमें धार्मिक, पौराणिक और धर्मनिरपेक्ष चित्रों को उकेरा गया है जो प्राय: साहित्यिक कार्यों का भी संदर्भ प्रदान करती हैं। इसका चौथा तल सबसे गहरा है जो एक 9.5 मीटर से 9.4 मीटर के आयताकार टैंक तक जाता है जो 23 मीटर गहरा है। यह कुआं इस परिसर के एक दम पश्चिमी छोर पर स्थित है जिसमें 10 मीटर व्‍यास और 30 मीटर गहराई का शाफ्ट शामिल है।

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