लाल किला परिसर

लाल किला परिसर

लाल किला परिसर

नई दिल्‍ली

लाल किला परिसर का निर्माण भारत के पांचवे मुगल बादशाह, शाहजहां की नई राजधानी-शाहजहांबाद के महल किले के रूप में की गयी थी। लाल बलुआ पत्थर की इसकी विशाल घेराबंदी दीवार के कारण इसका नामकरण लाल किला के रूप में किया गया था। यह वर्ष 1546 में इस्लाम शाह सूरी द्वारा निर्मित एक पुराना किला, सलीमगढ़ के समीप है तथा इस प्रकार यह लाल किला परिसर का एक भाग है। निजी अपार्टमेंट में पैविलियन की एक कतार शामिल है, जो एक सतत रूप से प्रवाहित होने वाली जल की धारा से सम्बद्ध है, जिसे नहर-ई-बेहिस्त (जन्नत की धारा) के रूप में जाना जाता है। लाल किला को मुगल सृजनात्मकता की पराकाष्‍ठा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है जिसे शाहजहां के अधीन परिमार्जन के एक नए स्तर तक स्थापित किया गया था। महल की योजना इस्लामी प्रतिकृति पर आधारित है, परन्तु प्रत्येक इमारत मुगल कालीन बनावट की विशिष्ट स्थापत्‍य कला शैली को दर्शाता है, जिसमें ईरानी, तैमूरी और हिन्दू परम्पराओं का मिश्रण परिलक्षित होता है। लाल किले की उद्यान रूपरेखा सहित अभिनव योजना और स्‍थापत्‍य शैली ने राजस्थान, दिल्ली, आगरा और इसके आगे के क्षेत्रों में पश्चातवर्ती इमारतों और उद्यानों को काफी प्रभावित किया।

लाल किले की इमारत योजना और रूपरेखा प्रथम मुगल बादशाह द्वारा वर्ष 1526 में शुरू की गई स्‍थापत्‍य कला संबंधी विकास के चरमबिन्दु को चित्रित करता है और इसे इस्लामी, ईरानी, तैमूरी और हिन्दू परम्पराओं के मिश्रण के साथ शाहजहां द्वारा भव्य परिमार्जन तक पहुंचाया गया था। लाल किले में विकसित इमारत घटकों और उद्यान रूपरेखा संबंधी नवीन इमारत योजना व्यवस्था और स्‍थापत्‍य शैली ने राजस्थान, दिल्ली, आगरा और आगे दूर तक पश्चातवर्ती इमारतों और उद्यानों को काफी प्रभावित किया। लाल किला उन घटनाक्रमों का स्थल रहा है जिसने अपनी भू-सांस्कृतिक क्षेत्र पर महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव डाला है।

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