संग्रहालय अनुदान योजना

संग्रहालय अनुदान स्कीम

पृष्ठभूमि

संग्रहालय राष्ट्र की संस्कृति का संग्रह होते हैं जिनमें लंबी अवधि के दौरान किसी देश की संस्कृति और विरासत के विकास के साक्ष्यों के सुस्पष्ट उदाहरण मौजूद होते हैं। अत:, देश के संग्रहालयों का सुदृढ़ीकरण संस्कृति मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में शामिल एक महत्वपूर्ण कार्यकलाप है। 12वीं योजना से पूर्व, यह मंत्रालय संग्रहालयों के विकास हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2 स्कीमों को चला रहा था, नामत:

  1. क्षेत्रीय एवं स्थानीय संग्रहालयों के संवर्धन और सुदृढ़ीकरण हेतु वित्तीय सहायता स्कीम ; और
  2. महानगरों में संग्रहालयों के लिए वित्तीय सहायता स्कीम

इन स्कीमों ने X Iवीं योजना अवधि में बड़ी संख्या में संग्रहालयों को वित्तपोषण प्रदान करने का कार्य किया, तथापि ऐसी आवश्यकता महसूस की गई कि मंत्रालय को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) फ्रेमवर्क के आधार पर बड़े स्तर के संग्रहालयों के वित्तोपोषण हेतु एक कार्यतंत्र भी विकसित करना चाहिए। यह देखा गया कि अभी तक केवल सरकार द्वारा एकल रूप से किए जाने वाले संग्रहालय विकास कार्य में निजी/ कॉरपोरेट क्षेत्र की भागीदारी की काफी गुंजाइश है। यह पाया गया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के समतुल्य बड़े स्तर के संग्रहालयों के विकास हेतु वित्तपोषण की बड़ी धनराशि की आवश्यकता होती है जिसे सरकार इन 2 मौजूदा स्कीमों के अंतर्गत प्रदान करने में असमर्थ थी। अत:, निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ वृहतर वित्तपोषण की संभावनाओं सहित एक नई स्कींम शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ-साथ, इस क्षेत्र में स्कीमों के आधिक्य से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया कि विभिन्न आकार के संग्रहालयों के वित्तपोषण हेतु विभिन्नू घटकों के साथ एक समग्र (अंब्रेला) स्कीाम के अंतर्गत इन 3 स्की‍मों को विलयित कर दिया जाए।

उद्देश्य

राज्‍य सरकारों और सोसाइटियों स्‍वायत्‍तशासी निकायों स्‍थानीय निकायों तथा सोसाइटी अधिनियम के अधीन पंजीकृत ट्रस्‍टों द्वारा नए संग्रहालयों की स्‍थापना हेतु वित्‍तीय सहायता प्रदान करना और क्षेत्रीय राज्‍य और जिला स्‍तर पर मौजूदा संग्रहालयों के सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण को प्रोत्‍साहित करना तथा साथ ही देश में संग्रहालय आंदोलन को और मजबूती प्रदान करने के लिए संग्रहालय व्‍यावसायिकों की क्षमताओं का विकास करना इस स्‍कीम का उद्देश्‍य है। इसके अलावा X IIवीं योजना अवधि में राज्‍य की राजधानियों में संग्रहालयों के विकास संबंधी स्‍कीम के घटक के अंतर्गत प्रत्‍येक वर्ष राज्‍य की राजधानी में स्थित कम से कम एक केन्‍द्रीय / राज्‍य सरकार संग्रहालय शुरू और विकसित करने की योजना भी बनाई गई है।

कार्य क्षेत्र

नए संग्रहालयों की स्थापपना तथा संगत कानूनों के अधीन अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य कानून के अधीन पंजीकृत राज्य सरकारों, संगठनों, संस्थानों, ट्रस्टों , स्थानीय निकायों, अकादमिक संस्थाकनों आदि द्वारा प्रबंधित संग्रहालयों के विकास के लिए वित्ती,य सहायता प्रदान की जाएगी। इस व्यांपक श्रेणी में निम्न लिखित संग्रह रखने वाले संग्रहालय शामिल होंगे :

  1. पुरावस्तु (ख) सिक्का शास्त्र
  2. चित्र (घ) नृजातीय संग्रह
  3. लोक कला
  4. कला एवं शिल्प, वस्त्र, मुहर आदि सहित अन्यस वस्तुएं
  5. उपरोक्त विधाओं में से किसी एक अथवा समस्त को प्रदर्शित करते हुए ऑन लाइन आभासी संग्रहालय

नीचे दिए गए ब्यौरे के अनुसार इस स्कीम के 3 घटक होंगे :-

  1. जिला और क्षेत्रीय संग्रहालयों की स्थापना और विकास
  2. राज्य की राजधानियों में संग्रहालयों का विकास
  3. सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में बड़े स्तर के संग्रहालयों की स्थागपना और विकास

पात्रता मानदंड, स्वीकार्य अनुदान की मात्रा और प्रत्येक घटक के अन्यक ब्यौरे नीचे दिए गए वर्णन के अनुसार है :

जिला और क्षेत्रीय संग्रहालय की स्थापना और विकास

पात्रता

सभी राज्य सरकारों, स्वै‍च्छिक संस्थानों, भारतीय सोसाइटी अधिनियम 1860 (X X I) अथवा राज्य सरकारों के सदृश कानूनों अथवा तत्समय प्रवृत्त‍ किसी कानून के अधीन सार्वजनिक न्यास के रूप में पंजीकृत सोसाइटियां अनुदान हेतु विचार किए जाने की पात्र हैं। आवेदक संस्थान द्वारा निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए :

शर्तें

  1. आवेदक संस्थान को आवेदन करने से पहले कम से कम तीन वर्ष पूर्व अस्तित्व में होना चाहिए। तथापि, विशेषज्ञ समिति अपने विवेक के आधार पर असाधारण मामलें में इसमें छूट दे सकती है, इसके कारणों को लिखित में दर्ज किया जाना चाहिए ;
  2. इसके कार्यकरण के लिए इसका एक सुपरिभाषित संघटन और निर्धारित नियमावली / उप नियम होने चाहिए ;
  3. इसके पास संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु ऐतिहासिक और / अथवा सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं के एक महत्वपूर्ण संग्रह का स्वामित्व और कब्जा होना चाहिए और वस्तुओं की संख्या को परियोजना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए ;
  4. इसे संग्रहालय के रख-रखाव करने और आवर्ती लागतों को वहन करने में सक्षम होना चाहिए ;
  5. इसके पास उस कार्य को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक अवसंरचनात्मक सुविधाएं, संसाधन और कार्मिक होने चाहिए जिसके लिए अनुदान की आवश्यकता है ;
  6. इसे राज्य सरकार से (संस्कृति विभाग अथवा समकक्ष) इसके संतोषजनक कार्य-निष्पादन के संबंध में प्रमाण-पत्र प्रस्तु‍त करना चाहिए।
  7. इसे व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं चलाया जाना चाहिए।
  8. इसे उस भूमि का स्वामी होना चाहिए जहां यह संग्रहालय अवस्थित है अथवा निर्मित किया जाना प्रस्तावित है और यहां तक आगन्तुकों का पहुंचना सुगम होना चाहिए।
  9. आवेदन के साथ प्रस्तुत की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, योजना एवं आकलित लागत को लोक निर्माण विभाग (अथवा समकक्ष संगठन) द्वारा सत्यापित और प्रमाणित होना चाहिए।

अन्य शर्तें :-

  1. आवेदक संगठन को नीचे दिए गए घटकों को शामिल करते हुए एक परियोजना प्रस्ताव तैयार करना चाहिए :
    1. निदानात्मक अध्ययन समेत संग्रहालय की दशा के संबंध में रिपोर्ट
    2. संग्रहालय का आधुनिकीकरण और विकास किस प्रकार किया जाएगा इसका उल्लेख करते हुए एक कार्यनीति पत्र जिसमें संग्रहालय के दीर्घकालिक प्रबंधन को सुनिश्चित करने के नियोजित दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने की योजना भी शामिल होगी।
    3. संग्रहालयों के आधुनिकीकरण के लिए उठाए जाने वाले प्रत्येक प्रस्तावित कदम की विस्तृत लागत, क्रम और समय सीमा को शामिल करते हुए एक कार्य योजना ;
  2. परियोजना प्रस्ताव में नवीकरण/ मरम्मत, वीथियों का विस्तार एवं आधुनिकीकरण, संचित संग्रह का आधुनिकीकरण, प्रकाशन, संरक्षण, प्रयोगशाला / संरक्षण परियोजना, संग्रहालय, पुस्तकालय, उपकरण और प्रलेखीकरण आदि के विभिन्न पक्षों का उल्लेख होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सदृश संसाधनों को किस प्रकार जुटाया जाएगा इसको भी परियोजना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया जाना चाहिए और इसमें विशिष्ट समय-सीमा को भी दर्शाया जाना चाहिए।

संग्रहालयों की श्रेणियां

घटक स्कीम के अंतर्गत सहायता के उद्देश्य हेतु संग्रहालयों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :-

  1. श्रेणी । : सरकारी स्वामित्व वाले राज्य स्तारीय संग्रहालय तथा उत्कृष्ट संग्रहों सहित प्रतिष्ठित संग्रहालय ;
  2. श्रेणी ।। : सभी अन्य संग्रहालय

वित्तीय सहायता की धनराशि

क्र.सं. उद्देश्‍य श्रेणी अधिकतम वित्‍तीय सहायता (करोड रू. में)
i. नए संग्रहालयों की स्‍थापना श्रेणी - । 10
ii. नए संग्रहालयों की स्‍थापना श्रेणी - ।। 5
iii. मौजूदा संग्रहालयों का विकास श्रेणी - । 8
iv. मौजूदा संग्रहालयों का विकास श्रेणी - ।। 4

वित्तीय अनुदान की शर्तें

  1. यह अनुदान केवल एक बार दिया जाएगा। आगे की किसी आवश्यकता को आवेदक संस्थान द्वारा पूरा किया जाएगा।
  2. इस स्कीम के अंतर्गत जिस संस्थान को अनुदान दिया गया है वह संस्थान पिछले अनुदान की अंतिम किस्त के भुगतान की तारीख से 10 वर्ष गुजरने से पहले पश्चातवर्ती अनुदान के लिए पात्र नहीं होगा।
  3. भारत सरकार की वित्तीय प्रतिबद्धता अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास के वित्तपोषण तक सीमित होगी और यह संग्रहालय चलाने के लिए नहीं होगी।
  4. किराया, वेतन विद्युत बिल आदि जैसे आवर्ती खर्चों को पूरा करने के लिए अनुदान का उपयोग नहीं किया जाएगा।
  5. सिविल कार्यों के लिए अनुमोदित अनुदान के 60 प्रतिशत से अधिक का उपयोग नहीं किया जाएगा।
  6. संग्रहालयों के लिए भूमि और कलाकृतियों को खरीदने के लिए अनुदान का उपयोग नहीं किया जाएगा।
  7. स्वीकार्य घटक के लिए केन्द्र सरकार कुल परियोजना लागत का 80 प्रतिशत तक प्रदान करेगी। आवेदक को परियोजना लागत के कम से कम 20 प्रतिशत का वहन करना होगा।
  8. सिक्किम सहित उत्तर-पूर्व क्षेत्र में संग्रहालयों के मामलों में, स्वीकार्य घटक के लिए केन्द्र सरकार कुल परियोजना लागत का 90 प्रतिशत तक प्रदान करेगी और आवेदक को परियोजना लागत के कम से कम 10 प्रतिशत का वहन करना होगा।
  9. जहां कहीं भी कार्य को सरकारी एजेंसियों के अलावा किन्हीं अन्य एजेंसियों को सौंपा गया है वहां मुक्त निविदा/ कोटेशन आमंत्रित करके पारदर्शी प्रतिस्पंर्धी पद्धति के माध्यम से कार्यान्वयन एजेंसी को चुना जाना चाहिए। इस विषय में इस मंत्रालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।

वित्तीय अनुदान जारी करने की प्रक्रिया

  1. सभी प्रयोजनों के लिए, केन्द्र सरकार का अंशदान 2 : 1 : 1 के अनुपात में 3 किश्तों में जारी किया जाएगा। पहली किस्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 50 प्रतिशत है, विशेषज्ञ समिति द्वारा परियोजना के अनुमोदन पर तुरंत संस्वीकृत और जारी कर दी जाएगी।
  2. दूसरी किस्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 25 प्रतिशत है, तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्त कर्ता केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई प्रथम किश्त की 80 प्रतिशत राशि तथा अनुदान प्राप्तकर्ता की धनराशि से आनुपातिक सदृश अंश का उपयोग कर चुका हो।
  3. तीसरी एवं अंतिम किस्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का शेष 25 प्रतिशत है, केवल तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्तकर्ता केन्द्र सरकार द्वारा जारी पहली और दूसरी किस्तों तथा सदृश अंशदान का पूर्ण उपयोग कर चुका हो।
  4. पूर्व किस्त और संगठन के आनुपातिक सदृश अंश के संबंध में उपयोगिता प्रमाण-पत्र और चार्टर्ड अकाउंटेट फर्म द्वारा संपरीक्षित लेखाओं के विवरण की प्राप्ति के पश्चात् दूसरी और तीसरी किस्तें, जारी की जाएगी। इस विवरण में यह भी प्रमाणित किया जाए कि पहले जारी की गई किस्तों तथा संस्थान की सदृश अंशदान राशि का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए कर लिया गया है जिसके लिए उक्त अनुदान संस्वीकृत किया गया था। दूसरी और तीसरी किस्तों का जारी किया जाना सरकार द्वारा अपेक्षित / मांगे गए अन्य दस्तावेज, यदि कोई हो, के प्रस्तुत किए जाने पर निर्भर होगा।

स्वीकार्य घटक

इस स्कीम के अंतर्गत प्रदान किए गए अनुदान से निम्नलिखित कार्यकलाप शुरू किए जाने की पात्रता रखते हैं :

  1. वीथियों का नवीकरण / मरम्त , विस्तार और आधुनिकीकरण, संचित संग्रह का आधुनिकीकरण:
    1. सरकारी संग्रहालयों के लिए इस उद्देश्य हेतु योजना और लागत अनुमान पीडब्‍ल्‍यूडी से प्राप्त होना चाहिए और अन्य संग्रहालयों के मामले में यह पीडब्‍ल्‍यूडी/ पंजीकृत आर्किटेक्ट से प्राप्त होना चाहिए।
    2. सरकारी संग्रहालयों के लिए पीडब्‍ल्‍यूडी तथा अन्य संग्रहालयों के मामले में पीडब्‍ल्‍यूडी / पंजीकृत आर्किटेक्ट से एक समापन-सह-मूल्यांकन प्रमाण-पत्र कार्य समापन से तीन महीनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  2. प्रकाशन
    1. सूचीपत्र
    2. संग्रहालय संदर्शिका
    3. गैलरी – शीट्स
    4. फोटो – इंडेक्स कार्ड्स
    5. चित्र पोस्ट कार्ड
    6. संग्रहालय वस्तुओं के चित्र सहित पत्रक
    7. मोनोग्राफ्स
    8. संक्षिप्त सूची आदि

    अंतिम किस्त के जारी होने से पहले प्रकाशित दस्तावेज की दस प्रतियां केन्द्र सरकार को भेजी जानी चाहिए। इस प्रकार प्रकाशित दस्तावेज के मुख्य पृष्ठ पर निम्नालिखित पंक्तियां शामिल की जानी चाहिए ’’संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता से प्रकाशित’’।

  3. संरक्षण प्रयोगशालाएं / संरक्षण परियोजनाएं

    इस स्कीम के अंतर्गत सहायता संरक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, विस्तार और स्तरोन्नयन तथा विहित प्रोफार्मा में वस्तुओं के संरक्षण के लिए होगी। यह अनुदान इस शर्त के अध्यधीन होगा कि प्रयोगशाला के पास उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित स्टाफ होना चाहिए। जहां प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्धप नहीं है, वहां इस कार्य के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को निम्नलिखित संस्थानों में से किसी एक में प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा अथवा संरक्षण कार्य निम्न में से किसी एक के माध्यम से किया जाएगा ;

    1. राष्ट्रीय कला, संरक्षण एवं संग्रहालय-विज्ञान संग्रहालय संस्थान, जनपथ, नई दिल्ली।
    2. भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास।
    3. राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण शोध प्रयोगशाला, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
    4. एगमोर संग्रहालय, चेन्नई।
    5. भारतीय संग्रहालय, कोलकाता।

    अंतिम किस्त जारी करने से पहले, संगठन द्वारा संरक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

  4. संग्रहालय पुस्तकालय का विकास

    मौजूदा संग्रहालय पुस्तकालयों के स्तरोन्नयन तथा संग्रह को बढ़ाने के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।

  5. उपकरणों की खरीद

    निम्न लिखित उपकरणों को खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी :

    1. उपकरण (सामान्य)
      1. पोडियम और पैनल जैसे प्रदर्शक सामान
      2. संग्रहालय वस्तुओं के प्रदर्शन हेतु विशेष लाइटिंग
      3. प्रलेखीकरण के लिए कंप्यूटर
      4. कैमरे, स्लाइड प्रोजेक्टर और स्क्रीन
      5. सी.सी.टी.वी.
    2. सुरक्षा प्रणाली के लिए उपकरण (केवल श्रेणी-। संग्रहालयों के लिए)

      डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर, हस्त चालित मेटल डिटेक्टंर, वाहन निरीक्षण शीशे, रेडियो सेट, हैंड बैगेज एक्सेरे मशीन, सीसीटीवी और रिकॉर्डिंग प्रणालियां, दरवाजों के लिए चुम्बकीय चिटकनी, ग्लास ब्रेक डिटेक्टर्स, चुम्बकीय स्विच, वाइब्रेशन डिटेक्टर्स, अलार्म सिस्टम, विडियो मोशन डिटेक्टर्स, पैसिव इंफ्रारेड उपकरण, इंफ्रारेड बीम बैरियर आदि।

    3. कोई अन्य उपकरण जिसे विशेषज्ञ समिति द्वारा आवश्यक माना जाए। संगठन द्वारा अनुदान राशि से खरीदे गए उपकरण की सूची प्रस्तुत की जाएगी।
  6. प्रलेखीकरण

    सभी संग्रहालयों को फोटो-प्रलेखीकरण और अंकीकरण जैसी प्रमाणित और उभरती प्रौद्योगिकियों का इष्टतम उपयोग करके अपने संग्रहों का सम्पूर्ण और गहन प्रलेखीकरण रखने का प्रयास करना चाहिए।

परियोजना अवधि

परियोजना को प्रथम किस्त जारी होने के समय से तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरा हो जाना चाहिए। परियोजना के सम्पन्न होने में यदि कोई विलंब होता है तो विलंब के लिए पूर्ण औचित्य का वर्णन करते हुए मंत्रालय से समय विस्तार की अनुमति मांगी जा सकती है इसमें चूक होने पर बाद वाली किश्ते जारी नहीं की जाएगी। संस्कृति मंत्रालय एकीकृत वित्त प्रभाग के प्रतिनिधि सहित अपने अधिकारियों को मंत्रालय द्वारा प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता से किए जा रहे कार्य का वास्तविक निरीक्षण करने के लिए संग्रहालय का दौरा करने हेतु तैनात कर सकता है।

स्कीम के तहत आवेदन करने और प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करने की प्रक्रिया

यह स्कीम वर्ष भर खुली रहेगी। परियोजना प्रस्ताव प्राप्त करने की कोई निर्धारित अंतिम तिथि नहीं होगी। इस घटक के तहत वित्तीय सहायता के लिए इस स्कीम के साथ संलग्न फॉर्म ‘क’ में आवेदन किया जा सकता है। आवेदनों को पहले-आओ पहले-पाओ आधार पर आगे बढ़ाया व आंका जाएगा। राज्य संग्रहालयों के अलावा अन्य संग्रहालयों के मामले में, स्कीम के अंतर्गत वित्तीय सहायता के आवेदन मंत्रालय को अंतिम रूप से संस्तुत करने से पहले इसे जिला उपायुक्त / कलेक्टर (जिस जिले में संग्रहालय अवस्थित हो) द्वारा संबंधित राज्य‍ सरकार को प्रायोजित किया जाना चाहिए। जिला प्रशासन को आवेदक के कार्यकलाप तथा जहां यह संग्रहालय स्थांपित किया गया है उस जगह की स्थिति के बारे में अपनी टिप्पणी करनी चाहिए। निर्धारित आवेदन प्रपत्रों (प्रपत्र-क) एवं उनमें वर्णित अनुबंधों के अलावा, आवेदकों द्वारा उक्त प्रस्ताव प्रत्येक मद के विस्तृत अनुमानों सहित एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। डीपीआर का एक नमूना संस्कृति मंत्रालय की साईट http://indiaculture.nic.in पर दिया गया है। आवेदन के साथ प्रस्तु‍त की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, योजना एवं अनुमानों को लोक निर्माण विभाग (या समतुल्य संगठन) द्वारा सत्यापित तथा प्रमाणित किया जाना चाहिए।

परियोजना प्रस्ताव में संबंधित संग्रहालय की विद्यमान विजिटर प्रोफाइल एवं परियोजना के कार्यान्वयन के पश्चात ऐसे प्रोफाइलों में दर्शाये गए परिवर्तन भी सम्मिलित होने चाहिए। इस स्कीम के अंतर्गत सहायता की धनराशि संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाने के लिए प्रस्तावित कलाकृतियों की संख्या और मूल्य के अनुपात में है।

इन आवेदनों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त सचिव की अध्यक्षता के अधीन स्थापित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा संवीक्षित किया जाएगा तथा इस समिति की सिफारिश के आधार पर ही अनुदान संस्वीकृत किए जाएंगे। प्राधिकारी द्वारा एक बार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें स्वीधकार कर लिए जाने पर, संबंधित संयुक्त सचिव, मंत्रालय के समेकित वित्त‍ प्रभाग से परामर्श करके, समय दर समय, किश्तों में, निधियां जारी करने हेतु सक्षम हो जाएंगे। यह विशेषज्ञ समिति, स्कीम के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले संग्रहालयों का निरीक्षण भी करेगी ताकि निधियों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

नोट :निधियों के दुरूपयोग अथवा समय-सीमा के भीतर उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तु‍त नहीं किए जाने को गंभीरता से लिया जाएगा। चूककर्ता संगठनों को काली-सूची में डाल दिया जाएगा और भारत सरकार से भविष्य में अनुदान प्राप्त करने से विवर्जित कर दिया जाएगा तथा कानून के अधीन अभियोग चलाया जाएगा।

राज्यों की राजधानियों में संग्रहालयों का विकास

उद्देश्य

प्रत्येक राज्य की राजधानी में केन्द्र अथवा राज्य सरकार के अधीन अंतरराष्ट्रीय स्तर के कम से कम एक संग्रहालय का विकास और आधुनिकीकरण करना संग्रहालय अनुदान स्कीम के इस घटक का उद्देश्य है। इसका एक अन्य उद्देश्य इन संग्रहालयों में व्यावसायिकों की प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास आवश्यकताओं को पूरा करना है (और इस घटक में से प्रतिवर्ष अधिकतम 1 करोड़ रू. का वित्त -पोषण इनके प्रशिक्षण के लिए भी किया जा सकता है)।

पात्रता

संग्रहालय अनुदान स्कीम के इस घटक के अंतर्गत वित्तीय सहायता हेतु राजधानी शहरों में केन्द्र अथवा राज्य सरकारों के मौजूदा प्रतिष्ठित संग्रहालय पात्र हैं।

शर्तें : -

  1. इस संग्रहालय को राज्य /संघ राज्यक्षेत्र की राजधानी में अवस्थित होना चाहिए।
  2. इसे एक प्रतिष्ठित संग्रहालय होना चाहिए जिसमें वस्तु्ओं /कलाकृतियों का महत्वपूर्ण संग्रह हो।
  3. विगत दो वर्षों में इसमें वार्षिक रूप से प्रतिवर्ष 1 लाख आगन्तुक आए हों।

वित्तीय अनुदान की राशि

वित्तीय अनुदान की राशि प्रति संग्रहालय पंद्रह करोड़ रूपयों तक सीमित होगी तथा इस घटक से निधियां उपलब्ध करवाते हुए प्रत्येक राज्य में कम से कम एक संग्रहालय को विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। आवेदक संग्रहालय द्वारा एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्राप्त की जानी अपेक्षित होगी जिसे तैयार करके प्रस्ताव के साथ ही प्रस्तुत किया जाएगा और जिसमें उक्त‍ निधियों की सहायता से आरंभ किए जाने वाले प्रस्तावित कार्यों के सभी पक्षों के विवरणों को दर्शाया जाएगा। डी.पी.आर तैयार करने की लागत संग्रहालय को संवितरित अनुदान की राशि में समायोजित की जाएगी।

शर्तें :

  1. यह अनुदान केवल एक बार प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा किसी अन्य आवश्यकता की पूर्ति आवेदक संस्थान द्वारा की जाएगी।
  2. भारत सरकार की वित्तीय देयता अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास को वित्तपोषित करने तक ही सीमित होगी एवं संग्रहालय चलाने के लिए नहीं।
  3. यह अनुदान किराया, वेतनों, बिजली के बिलों आदि जैसे आवर्ती व्ययों को कवर करने के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
  4. संस्वीकृत अनुदान की केवल 60 प्रतिशत राशि ही सिविल कार्यों के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
  5. इस अनुदान का उपयोग संग्रहालय के लिए भूमि अथवा कलाकृतियों के प्रापण में नहीं किया जाएगा।
  6. जिस संस्थान को इस स्कीम के तहत अनुदान दिया गया हो वह पूर्व अनुदान की अंतिम किश्त के भुगतान से 10 वर्ष समाप्तग होने से पहले अनुदान का पात्र नहीं होगा।

वित्तीय अनुदान जारी करने की प्रक्रिया

  1. सभी प्रयोजनों के लिए, केन्द्र सरकार का अंशदान 2 : 1 : 1 के अनुपात में 3 किश्तों में जारी किया जाएगा। पहली किश्त , जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 50 प्रतिशत है,विशेषज्ञ समिति द्वारा परियोजना के अनुमोदन पर तुरंत संस्वीकृत और जारी कर दी जाएगी।
  2. दूसरी किश्त , जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 25 प्रतिशत है, तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्तकर्ता केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई प्रथम किश्त की 80 प्रतिशत राशि का उपयोग कर चुका हो।
  3. तीसरी एवं अंतिम किश्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का शेष 25 प्रतिशत है, केवल तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्तकर्ता केन्द्र सरकार द्वारा जारी पहली और दूसरी किश्तों का पूर्ण उपयोग कर चुका हो।
  4. दूसरी और तीसरी किश्तें , पूर्व किश्त के संबंध में चार्टर्ड अकाउंटेट फर्म द्वारा संपरीक्षित लेखाओं के विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के पश्चात् जारी की जाएगी।इस विवरण में यह भी प्रमाणित किया जाए कि पहले जारी की गई किश्तों का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए किया गया हो जिसके लिए उक्त अनुदान संस्वीकृत किया गया था।

दूसरी और तीसरी किश्तों का जारी किया जाना सरकार द्वारा अपेक्षित / मांगे गए अन्य दस्तावेज, यदि कोई हो, के प्रस्तुत किए जाने पर निर्भर होगा।

स्वीकार्य घटक

स्कीम के पैरा ए 5 में दिए गए कार्यकलाप (घटक ए के अधीन) स्कीम के अधीन उपलब्ध करवाए गए अनुदान से आरंभ किए जा सकते हैं।

परियोजनावधि

यह परियोजना, पहली किश्त जारी किए जाने से पांच वर्ष के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। यदि परियोजना के निष्पादन में कोई विलंब हो तो विलंब का पूर्ण औचित्य सिद्ध करते हुए मंत्रालय से विस्तार की अनुमति की मांग की जा सकती है, जिसकी अनुपलब्धता की स्थिति में उत्तरवर्ती किश्त जारी नहीं की जाएगी। संस्कृति मंत्रालय, समेकित वित्त प्रभाग के प्रतिनिधि सहित अपने अधिकारियों को संग्रहालय का दौरा करने के लिए प्रतिनियुक्त कर सकता है ताकि वह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता से किए गए कार्य का वास्तविक निरीक्षण कर सके।

स्कीम के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार और आवेदन करने की प्रक्रिया

यह स्कीम वर्ष भर खुली रहेगी। परियोजना प्रस्ताव प्राप्त करने की कोई निर्धारित अंतिम तिथि नहीं होगी। इस घटक के तहत वित्तीय सहायता के लिए इस स्कीम के साथ संलग्न फॉर्म ‘ख’ में आवेदन किया जा सकता है। आवेदनों को पहले आओ पहले पाओ आधार पर आगे बढ़ाया व आंका जाएगा। एक वित्त वर्ष में इस घटक के तहत एक से अधिक संग्रहालय को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।

निर्धारित आवेदन प्रपत्रों (प्रपत्र-ख) एवं उनमें वर्णित अनुबंधों के अलावा, आवेदकों द्वारा उक्त प्रस्ताव प्रत्येक मद के विस्तृत अनुमानों सहित एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। डीपीआर का एक नमूना संस्कृति मंत्रालय की साईट http://indiaculture.nic.in पर दिया गया है। आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, योजना एवं अनुमानों को लोक निर्माण विभाग (या समतुल्य संगठन) द्वारा सत्यापित तथा प्रमाणित किया जाना चाहिए।

परियोजना प्रस्ताव में संबंधित संग्रहालय की विद्यमान विजिटर प्रोफाइल एवं परियोजना के कार्यान्वयन के पश्चात ऐसे प्रोफाइलों में दर्शाये गए परिवर्तन भी सम्मिलित होने चाहिए। इन आवेदनों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त सचिव की अध्यक्षता के अधीन स्थापित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा संवीक्षित किया जाएगा तथा इस समिति की सिफारिश के आधार पर ही अनुदान संस्वीकृत किए जाएंगे। सक्षम प्राधिकारी द्वारा एक बार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें स्वीकार कर लिए जाने पर, संबंधित संयुक्त सचिव, मंत्रालय के समेकित वित्त प्रभाग से परामर्श करके, समय दर समय, किश्तों में, निधियां जारी करने हेतु सक्षम हो जाएंगे। यह विशेषज्ञ समिति, स्कीम के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले संग्रहालयों का निरीक्षण भी करेगी ताकि निधियों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

सार्वजनिक निजी भागीदारी पद्धति में बड़े स्तर के संग्रहालयों की स्थापना व विकास

उद्देश्य

देश के विभिन्न भागों में संग्रहालयों की उपलब्धता से संबंधित विद्यमान कमी को पूरा करने की दृष्टि से एक सार्वजनिक – निजी – भागीदारी (पीपीपी) पद्धति में राज्य सरकारों और नागरिक समाज के एक संयुक्त उद्यम के तौर पर, पहचान किए गए शहरों में बड़े स्तर के संग्रहालयों (50 करोड़ रूपयों से अधिक) की स्थापना हेतु एक नई योजना का प्रस्तांव है। इस संग्रहालय में उपलब्ध सुविधाएं उच्च स्तर की एवं अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के समतुल्य होंगी तथा उनकी प्रचालनात्मक लागत को विभिन्न आगंतुक सुविधाओं व प्रवेश शुल्क आदि से जनित राजस्व के द्वारा पूरा किया जाएगा। संग्रहालय का दैनिक प्रशासनिक कार्य शासकीय निकाय जैसे शीर्षस्थ निकाय को अभ्यावेदन द्वारा, केवल नीति स्तर निर्णय लेने में शामिल सरकारों (केन्द्रीय और राज्य सरकार दोनों) के साथ संलग्न नागरिक समाज/ स्वैच्छिक क्षेत्र के प्रचालक द्वारा किया जाएगा।

पात्रता

राज्य सरकारें / सभी स्वैच्छिक संस्थान, सोसायटियां, स्थांनीय निकाय व भारतीय सोसायटी अधिनियम, 1860 (X X I) के अधीन एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत न्यास या तत्समय प्रवृत्त किसी कानून के अधीन पंजीकृत सार्वजनिक न्यास, अनुदानों के लिए पात्र हैं। उनके पास न्यूतनतम 1500 उत्कृष्ठ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कलाकृतियों का संग्रह होना चाहिए। उन्हें निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा :-

  1. इसका गठन आवेदन से कम से कम तीन वर्ष पूर्व किया गया हो। तथापि, विशेषज्ञ समिति के विवेकानुसार कुछ विशेष मामलों में इस शर्त में छूट दी जा सकती है, जिसके कारण लिखित रूप में रिकॉर्ड किए जाएंगे ;
  2. उसके पास कार्य करने के लिए सुपरिभाषित संविदा एवं निर्धारित नियम/ उप नियम हो ;
  3. वह संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए ऐतिहासिक और / या सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं के एक संपन्न संग्रह का स्वामी हो (न्यू‍नतम 1500 कलाकृतियां) व वस्तुओं की प्रकृति और संख्या का उल्लेख परियोजना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से किया जाए ;
  4. वह संग्रहालय के रख-रखाव में सक्षम हो तथा सभी आवर्ती लागतों को वहन कर सके ;
  5. उसके पास आवश्यक अवसंरचनात्मक सुविधाएं, संसाधन और उस कार्य को निष्पावदित करने हेतु कार्मिक मौजूद हों जिसके लिए अनुदान की आवश्यकता है ;
  6. उसके पास राज्य सरकार (संस्कृति विभाग या समतुल्य) से प्राप्त प्रमाण-पत्र हो जिसमें उसके संतोषजनक निष्पादन का प्रमाण हो ;
  7. उसे निजी लाभ के लिए नहीं चलाया जा रहा हो ;
  8. वह उस भूमि का मालिक हो जिस पर संग्रहालय स्थित हो या निर्मित किए जाने का प्रस्ताव हो, जहां आगंतुक आसानी से पहुंच सकें।
  9. आवेदन के साथ प्रस्तुत की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, योजनाओं व अनुमानों को लोक निर्माण विभाग (या समतुल्य संगठन) द्वारा सत्यापित व प्रमाणित किया गया हो।

अन्य शर्तें :-

  1. आवेदक संगठन को नीचे दिए गए घटकों को शामिल करते हुए एक परियोजना प्रस्ताव तैयार करना चाहिए :
    1. निदानात्मक अध्ययन समेत संग्रहालय की दशा के संबंध में रिपोर्ट ;
    2. संग्रहालय का आधुनिकीकरण और विकास किस प्रकार किया जाएगा इसका उल्लेख करते हुए एक कार्यनीति पत्र जिसमें संग्रहालय के दीर्घकालिक प्रबंधन को सुनिश्चित करने के नियोजित दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने की योजना भी शामिल होगी ;
    3. संग्रहालयों के आधुनिकीकरण के लिए उठाए जाने वाले प्रस्तावित प्रत्येक कदम की विस्तृत लागत, क्रम और समय-सीमा को शामिल करते हुए एक कार्य योजना ;
  2. परियोजना प्रस्ताव में नवीकरण/ मरम्मत, वीथियों का विस्तार एवं आधुनिकीकरण, संचित संग्रह का आधुनिकीकरण, प्रकाशन, संरक्षण, प्रयोगशाला /संरक्षण परियोजनाएं, संग्रहालय, पुस्तकालय, उपकरण और प्रलेखीकरण आदि के विभिन्न पक्षों का उल्लेख होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सदृश संसाधनों को किस प्रकार जुटाया जाएगा इसको भी परियोजना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया जाना चाहिए और इसमें विशिष्ट समय-सीमा को भी दर्शाया जाना चाहिए।

अनुदान की राशि

केन्द्रीय सरकार द्वारा स्कीम के तहत, परियोजना लागत की अधिकतम 40 प्रतिशत राशि तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जोकि अधिकतम 20 करोड़ रू. तक होगी, चाहे उसका संबंध नया संग्रहालय स्थापित करने से हो या विद्यमान संग्रहालय के आधुनिकीकरण से। परियोजना लागत का शेष भाग स्वयं संस्थान द्वारा या राज्य, सरकार/कॉरपोरेट व सार्वजनिक क्षेत्र के संयुक्त उद्यम द्वारा वित्त‍पोषित किया जाएगा।

शर्तें :-

  1. यह अनुदान केवल एक बार प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा किसी अन्य आवश्यकता की पूर्ति आवेदक संस्थान द्वारा की जाएगी।
  2. जिस संस्थान को इस स्कीम के तहत अनुदान दिया गया हो वह पूर्व अनुदान की अंतिम किश्त के भुगतान से 10 वर्ष समाप्त होने से पहले अनुदान का पात्र नहीं होगा।
  3. भारत सरकार की वित्तीय देयता अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास को वित्तपोषित करने तक ही सीमित होगी एवं संग्रहालय चलाने के लिए नहीं।
  4. यह अनुदान किराया, वेतनों, बिजली के बिलों आदि जैसे आवर्ती व्ययों को कवर करने के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
  5. संस्वीकृत अनुदान की केवल 60 प्रतिशत राशि ही सिविल कार्यों के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
  6. इस अनुदान का उपयोग संग्रहालय के लिए भूमि अथवा कलाकृतियों के प्रापण में नहीं किया जाएगा।
  7. जहां पर भी कार्य सरकारी एजेंसियों को न सौंपकर किसी अन्य एजेंसी को सौंपा गया है,वहां कार्यान्वकयन एजेंसी का चयन खुला टेंडर/ कोटेशन आमंत्रित करते हुए एक पारदर्शी प्रतियोगी प्रक्रिया से किया जाएगा। तत्संकबंधी रिपोर्ट इस मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी।
  8. आवेदन करते समय, आवेदक संस्थान परियोजना लागत का कम से कम 50 प्रतिशत अपने पास तैयार रखेगा।
  9. यह भविष्य में अपने आवर्ती व्यय से निपटने के लिए एक वास्तविक संवहनियता योजना भी प्रस्तुत करेगा।
  10. सभी प्रयोजनों के लिए अनुदान 40:60 के अनुपात में प्रदान किया जाएगा। अनुमानित लागत की अधिकतम तथा 40 प्रतिशत तक की राशि केन्द्रीय सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी (अधिकतम 20 करोड़ रू. तक) व बची हुई 60 प्रतिशत या शेष राशि यदि कोई हो, राज्य सरकार /संस्थान/ कॉरपोरेट निकायों, जैसा भी मामला हो, द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
  11. योजनावधि में इस घटक के अंतर्गत केवल एक परियोजना प्रस्ताव संस्वीतकृत किया जाएगा।

वित्तीय अनुदान जारी करने की प्रक्रिया

  1. सभी प्रयोजनों के लिए, केन्द्र सरकार का अंशदान 4 किश्तों में जारी किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक किश्त संस्वीकृत अनुदान का 25 प्रतिशत होगी। पहली किश्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 25 प्रतिशत है, विशेषज्ञ समिति द्वारा परियोजना के अनुमोदन पर तुरंत संस्वीकृत और जारी कर दी जाएगी।
  2. दूसरी किश्त, जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 25 प्रतिशत है, तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्त कर्ता, केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई प्रथम किश्त की 80 प्रतिशत राशि और साथ ही अपनी निधियों में से आनुपातिक अनुरूप अंशदान का उपयोग कर चुका हो।
  3. तीसरी किश्त जो केन्द्र सरकार के अंशदान का 25 प्रतिशत है, तब जारी की जाएगी जब अनुदान प्राप्त कर्ता, केन्द्र सरकार द्वारा जारी दूसरी किश्त की 80 प्रतिशत राशि के साथ-साथ अनुरूप अंशदान का पूर्ण उपयोग कर चुका हो। संस्वीकृत राशि के शेष 25 प्रतिशत की चौथी किश्त का भुगतान तब किया जाएगा जब अनुदान प्राप्तकर्ता ने पहली 3 किश्तों में संवितरित अनुदान का उपयोग उनके अनुरूप अनुदान के साथ पूर्ण रूप से कर लिया हो।
  4. दूसरी और तीसरी एवं चौथी किश्तें, पूर्व किश्त और संगठन के समतुल्य आनुपातिक अनुरूप अंशदान के संबंध में चार्टर्ड अकाउंटेट फर्म द्वारा संपरीक्षित लेखाओं के विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के पश्चात् जारी की जाएगी। इस विवरण में यह भी प्रमाणित किया जाए कि पहले जारी की गई किश्तों व संस्था‍न के अनुरूप अंशदान का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए किया गया हो जिसके लिए उक्त अनुदान संस्वीकृत किया गया था। दूसरी और तीसरी व चौथी किश्तों का जारी किया जाना सरकार द्वारा अपेक्षित / मांगे गए अन्य दस्तावेज, यदि कोई हो, के प्रस्तुत किए जाने पर निर्भर होगा।

अवसंरचना का विकास

स्कीम के पैरा ए 5 में दिए गए कार्यकलाप (घटक क के अंतर्गत) स्कीम के तहत उपलब्ध करवाए गए अनुदान से आरंभ किए जाने के पात्र हैं।

परियोजनावधि

यह परियोजना, पहली किश्त जारी किए जाने से पांच वर्ष के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। यदि परियोजना के निष्पादन में कोई विलंब हो तो विलंब का पूर्ण औचित्य सिद्ध करते हुए मंत्रालय से विस्तार की अनुमति की मांग की जा सकती है, जिसकी अनुपलब्धता की स्थिति में उत्तरवर्ती किश्त जारी नहीं की जाएगी। संस्कृति मंत्रालय, समेकित वित्त प्रभाग के प्रतिनिधि सहित अपने अधिकारियों को संग्रहालय का दौरा करने के लिए प्रतिनियुक्त कर सकता है ताकि वह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता से किए गए कार्य का वास्तविक निरीक्षण कर सके।

स्कीम के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार और आवेदन करने की प्रक्रिया

यह स्कीम वर्ष भर खुली रहेगी। परियोजना प्रस्ताव प्राप्त करने की कोई निर्धारित अंतिम तिथि नहीं होगी। इस घटक के तहत वित्तीय सहायता के लिए इस स्कीम के साथ संलग्न फॉर्म ‘ख’ में आवेदन किया जा सकता है। आवेदनों को पहले आओ पहले पाओ आधार पर आगे बढ़ाया व आंका जाएगा। एक वित्त वर्ष में इस घटक के तहत एक से अधिक संग्रहालय को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।

निर्धारित आवेदन प्रपत्रों (प्रपत्र-ख) एवं उनमें वर्णित अनुबंधों के अलावा, आवेदकों द्वारा उक्त प्रस्ताव प्रत्येक मद के विस्तृत अनुमानों सहित एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। डीपीआर का एक नमूना संस्कृ्ति मंत्रालय की साईट http://indiaculture.nic.in पर दिया गया है। आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, योजना एवं अनुमानों को लोक निर्माण विभाग (या समतुल्य संगठन) द्वारा सत्यापित तथा प्रमाणित किया जाना चाहिए।

परियोजना प्रस्ताव में संबंधित संग्रहालय की विद्यमान विजिटर प्रोफाइल एवं परियोजना के कार्यान्वयन के पश्चात् ऐसे प्रोफाइलों में दर्शाये गए परिवर्तन भी सम्मिलित होने चाहिए।

इन आवेदनों को संस्कृ्ति मंत्रालय द्वारा संयुक्त सचिव की अध्यक्षता के अधीन स्थापित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा संवीक्षित किया जाएगा तथा इस समिति की सिफारिश के आधार पर ही अनुदान संस्वीकृत किए जाएंगे। सक्षम प्राधिकारी द्वारा एक बार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें स्वीकार कर लिए जाने पर, संबंधित संयुक्त सचिव, मंत्रालय के समेकित वित्त प्रभाग से परामर्श करके, समय दर समय, किश्तों में, निधियां जारी करने हेतु सक्षम हो जाएंगे। यह विशेषज्ञ समिति, स्कीम के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले संग्रहालयों का निरीक्षण भी करेगी ताकि निधियों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
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  • http://ngo.india.gov.in/
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