हम्पी में स्मारकों के समूह

हम्‍पी के स्‍मारकों के समूह

हम्‍पी के स्‍मारकों के समूह

कर्नाटक

हम्पी नगर, विजयनगर साम्राज्य की लुप्त सभ्यता का अनोखा प्रमाण है जो कृष्ण देव राय (1509-30) के शासनकाल में अपने चरमोत्‍कर्ष पर पहुंचा था। यह एक प्रकार की संरचना का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण प्रस्तुत करता है जो दक्षिण भारत के साम्राज्यों को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दृश्‍य को दर्शाता है जिनको मुसलमानों से खतरा था और जो समय-समय पर गोवा के पुर्तगालियों के सहयोगी भी थे।

हम्पी का आडंबरहीन भव्य स्थल अंतिम महान हिन्दू साम्राज्‍य विजयनगर की अंतिम राजधानी थी। इसके बेहद अमीर राजकुमार ने द्रविड मंदिर और महलों का निर्माण कराया था जिसे 14वीं एवं 16वीं शतब्दियों के बीच आने वाले यात्रियों से बड़ी प्रशंसा प्राप्‍त हुई। वर्ष 1565 में दक्कन मुस्लिम महासंघ द्वारा विजय प्राप्त करने पर इस नगर को छोड़ने के पहले, छ: महीनों की अवधि में इसे लूट लिया गया था।

दक्षिण भारत का अंतिम महान साम्राज्य विजय नगर की अंतिम राजधानी के रूप में हम्‍पी, कपास और मसाला व्यापार से समृद्ध मध्ययुगीन दुनिया के सबसे सुन्दर नगरों में से एक था। इसके महलों और द्रविड़ मंदिरों की अरब (अब्दुल राजाक), पुर्तगाली (डोमिंगो पेस) या इतालवी (निकोलो डे कोंटी) यात्रियों द्वारा प्रशंसा की गई थी।

1565 में तालिकोटा युद्ध के बाद मुसलमानों द्वारा विजय प्राप्त करने पर छ: महीने तक इसे लूटा गया था और बाद में इसे छोड़ दिया गया। शानदार स्मारकीय अवशेषों, आंशिक रूप से रिक्त और पुन: प्राप्‍त हम्पी का निर्माण कार्य, आज विश्व के बहुत अनूठे खंडहरों में से एक है।