हुमायूं का मकबरा, दिल्ली

हुमायूं का मकबरा, दिल्‍ली

हुमायूं का मकबरा, दिल्‍ली

दिल्‍ली

मुगलकालीन स्थापत्य कला शैली के प्रारंभिक चरण के उदाहरण में हुमायूं का मकबरा मुगल स्थापत्य कला के विकास में ऐतिहासिक स्थल के रूप में शुमार है और यह पत्थर के फर्श और जल प्रवाह के साथ उद्यान मकबरा संबंधी पहले की मौजूद नमूने का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह भव्य पैमाने पर छतरी के ऊंचाई पर दोहरे गुम्बर का एक सुविकसित नमूना है। इस इमारत की परम्परा एक शताब्दी के बाद निर्मित ताज महल में पराकाष्ठा पर पहुंची। इस शैली की प्रथम मानकीकृत उदाहरण होने के बावजूद भी, हुमायूं का मकबरा सर्वोच्च श्रेणी का एक स्थापत्य कला संबंधी उपलब्धि है।

भारत के द्वितीय मुगल बादशाह, हुमायूं के मकबरे का निर्माण कार्य उनकी विधवा बीगा बेगम (हाज्जीग बेगम) द्वारा 1.5 मिलियन रुपए की लागत से उनकी मृत्यु के 14 वर्ष के बाद वर्ष 1569-70 में करवाया गया था। इस मकबरे के वास्तुकार मीराक मिर्जा धीयाथ थे। बाद में इसका इस्तेमाल शाही परिवार के विभिन्न सदस्यों को दफनाने के लिए किया गया था और इसमें लगभग 150 कब्र हैं। इसे मुगल वंश के कब्रिस्तान के रूप में उपयुक्त रूप से वर्णित किया गया है।

यह मकबरा स्वयं एक बड़े उद्यान के मध्य में अवस्थित है। इसकी योजना चार-बाह शैली में बनाई गई है और यह ताल जल प्रवाहिकाओं से युक्त हैं। मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर है और पश्चिम की ओर एक अन्य प्रवेश द्वार भी है। एक मंडप और एक स्नान गृह क्रमश: पूर्वी और उत्तरी दीवार के मध्य में अवस्थित हैं। यह मकबरा स्वयं एक ऊंचे, चौड़े, इसके सभी ओर छोटे-छोटे मेहराबदार प्रकोष्ठ के साथ सीढ़ीदार चबूतरा पर स्थित है।

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