खुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाईब्रेरी, पटना

खुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाइब्रेरी

खुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिक, लाईब्रेरी, पटना, संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍त निकाय है जो लगभग 21,000 प्राच्य पांडुलिपियों और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह है। यद्यपि इसकी स्‍थापना पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए सन् 1891 में खोला गया।

खुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाइब्रेरी पटना में, गंगा के घाट के निकट अवस्थित है। यद्यपि इसकी स्‍थापना पहले की गई थी, किंतु इसे अक्‍तूबर, 1891 में बिहार के प्रसिद्ध सपूत खान बहादुर खुदा बख्‍श द्वारा जनता के लिए खोला गया। इसमें 4000 पांडुलिपियां थीं जिनमें से 1400 उन्‍होंने अपने पिता से विरासत में प्राप्‍त किए। खुदा बख्‍श ने अपना समस्‍त निजी संग्रह एक न्‍यास विलेख के माध्‍यम से पटना जनता को सौंप दिया था।

इसके समृद्ध और मूल्‍यवान संग्रह के असीम ऐतिहासिक और बौद्धिक मूल्‍य को पहचानते हुए, भारत सरकार ने इस पुस्‍तकालय को सन् 1969 में एक संसद अधिनियम के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया। स्‍वायत्‍त संस्‍थान के रूप में स्‍थापित यह पुस्‍तकालय संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा पूर्णत: वित्‍त पोषित है।

यह पुस्‍तकालय पूर्व विरासत का एक अद्वितीय कोष है, जिसे कागज़, ताड़-पत्र, मृग चर्म,कपड़े और विविध सामग्रियों पर लिखित पांडुलिपियों के रूप में परिरक्षित किया गया है। साथ ही इसका स्‍वरूप आधुनिक है जिसमें कुछेक जर्मन, फ्रेंच, पंजाबी, जापानी व रूसी पुस्‍तकों के अलावा अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी में मुद्रित पुस्‍तकें भी रखी गई हैं। यह पुस्‍तकालय प्राच्‍य अध्‍ययनों में एक अनुसंधान केन्‍द्र के रूप में तथा छात्रों, युवाओं और वरिष्‍ठ नागरिकों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कए सार्वजनिक पुस्‍तकालय के रूप में कार्य करते हुए दोहरी भूमिका निभाता है। अब यह डिजिटल पुस्‍तकालय के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पुस्‍तकालय के भीतर डिजिटल प्रारूप में उपलब्‍ध 2000 से अधिक पांडुलिपियां मौजूद हैं। पुस्‍तकालय लैन तथा इंटरनेट कनेक्‍शन सहित ई-मेल सुविधाओं से लैस है।.

पुस्तकालय के पास दो पठन कक्ष हैं, एक कक्ष अनुसंधानकर्त्‍ताओं और स्‍कॉलरों के लिए है जबकि दूसरे कक्ष अनियमित पाठकों के लिए हैं। पुस्‍तकालय में विश्‍व के सभी स्‍कॉलरों,अनुसंधानकर्ताओं तथा पाठकों को स्‍वागत है और उनकी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान दियाजाता है। स्‍कॉलरों को सन्‍दर्भ सेवाएं भी फैक्‍स,फोन तथा ई-मेल के जरिए भी उपलब्‍ध करायी जाती है। भारत में तथा विदेश में स्‍कॉलरों को माइक्रोफिल्‍म,जेरोक्‍स, फोटोग्राफ आदि की सप्लाई के माध्‍यम से सेवाएं प्रदान की जाती हैं जो इस पुस्‍तकालय की मुख्‍य विशेषताहै।

लार्ड कर्जन के नाम से रखा गया कर्जन पठन कक्ष सभी के लिए खुला रहता है। कई समाचार पत्र, पत्रिकाएं अंग्रेजी,उर्दू तथा हिन्‍दी में उपलब्‍ध हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु सन्‍दर्भ पुस्‍तकें और पुस्‍तकें पठन कक्षमें उपलब्‍ध हैं।

पुस्‍तकालय पाण्‍डुलिपियों तथा पुस्‍तकों के अधिग्रहण तथा उनके रख-रखाव हेतु अथक प्रयास कर रहा है और सभी सम्‍भव उपायोंसे ज्ञान का प्रसारण कर रहा है। स्‍कॉलर वर्कशॉप,वर्कशॉप,संगोष्‍ठी, वार्ताएं,व्‍याख्‍यान तथा विचार गोष्‍ठयां राष्‍ट्रीय तथा अन्‍तरराष्‍ट्रीय स्‍तरों पर अनुसंधान आधारित जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजितकीजा रही हैं। पुस्‍तकालय इस्‍लामिक अध्‍ययन,अरबी,फारसी तथा उर्दू साहित्‍य,तुलनात्‍मक धर्म, तिब अथवा यूनानी औषधि, तसाऊप गूढ़ ज्ञान,इस्‍लामिक लैंड इतिहास,मध्‍यकालीन भारतीय इतिहास तथा संस्‍कृति और राष्‍ट्रीय आन्‍दोलन जैसे विशिष्‍ट क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्‍साहन देता है।

ज्ञान के और अधिक प्रसार की दिशामेंआगेबढ़नेके लिए पुस्‍तकालय दुर्लभ सामग्रियों का प्रकाशन कर रहा है। अनुसंधान तथा प्रकाशन का एक पूर्ण अनुभाग संगत सामग्री पर कार्य कर रहा है। पुस्‍तकालय के पास अपने स्‍वयं के काफीसंख्‍या में प्रकाशन हैं। वर्ष 1977से नियमित आधार पर एक तिमाही अनुसंधान पत्रिका भी प्रकाशित की जा रही है।

पुस्‍तकालय की किताबों तथा पाण्‍डुलिपियों का संग्रहण इस प्रकारहै:
  • पाण्‍डुलिपि संग्रहण

    अरबी,फारसी,उर्दू,तुर्की तथा पाश्‍तु पाण्‍डुलिपियां 21,136

  • मुद्रित पुस्‍तक संग्रहण बी 2,082,904 B. 2,082,904

    अंग्रेजी,उर्दू,अरबी,फारसी,हिन्‍दी,जर्मन,फ्रैंच,पंजाबी,रूसी,जापानी,आईटीयू संग्रहण ( अरबी तथा फारसी) पत्र-पत्रिकाएं ( अंग्रेजी,उर्दू,अरबी तथा फारसी )

  • पुस्‍तक इतर सामग्री का संग्रहण
    • पाण्‍डुलिपियों की माइक्रोफिल्‍में 2195
    • माइक्रोफिशे 752
    • स्‍लाइड्स 182
    • आडियो कैसेट 2041
    • विडिओ कैसेट 1051
  • दस्‍तावेज 238

खुदा बख्‍श पुस्‍तकालय दक्षिण तथा मध्‍य एशिया की बौद्धिक तथा सांस्‍कृतिक विरासत का सबसे बड़ा भण्‍डार है। साथ ही यह सम्‍पूर्ण विश्‍व में ज्ञान के प्रसार का प्रमुख केन्‍द्र भी है। वास्‍तव में इस पुस्‍तकालय का अतीत शानदार रहा है जबकि वर्तमान वैभवशाली तथा भविष्‍य उज्‍जवल है।

  • Military Accounts of Maharaja Ranjit Singh
  • Wajud Ul Ashiqeen
  • Muraqqa al Muluk
  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
  • http://nmi.nic.in/
  • https://mygov.in