पुस्तकालय एवं पांडुलिपियों

पुस्‍तकालय सेवा राज्‍य सरकारों के तत्‍वाधान के अधीन है तथा सभी राज्‍य अपने आकार, जनसंख्‍या, साक्षरता दर, क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्‍य की रचना तथा पुस्‍तकालय अवसंरचना की दृष्‍टि से भिन्‍न हैं।

प्रारंभ

एस.एच. सायाजी राव गायकवाड़ III, बड़ोदा के महाराजा ने सन 1910 में भारत में सार्वजनिक पुस्‍तकालय प्रणाली के विकास की अगुआई की। महाराजा ने इस बात पर बल दिया कि "पुस्‍तकालयों को अपना लाभ कुछेक अंग्रेजी जानने वाले तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्‍कि यह सुनिश्‍चित करना चाहिए कि उनका अच्‍छा कार्य सर्वाधिक लोगों तक पहुंच सके", और यह भी कि "देशी भाषा के पुस्‍तकालयों को प्रोत्‍साहन मिलना चाहिए" ताकि राज्‍य का प्रत्‍येक नागरिक "स्‍वयं कोपुस्‍तकालय नामक लोक विश्‍वविद्यालय में एक विद्यार्थी के रूप में शामिल करे। " उन्‍होंने एक पुस्‍तकालय विभाग की स्‍थापना की जिसमें श्री डब्‍ल्‍यू.ए.बॉर्डन को प्रथम पूर्णकालिक राज्‍य पुस्‍तकालय निदेशक के तौर पर नियुक्‍त किया गया। बड़ोदा में महाराजा के 20,000 पुस्‍तकों के निजी संग्रह सहित 88,764 खंडों के केन्‍द्र संग्रह को शामिल करते हुए एक केन्‍द्रीय पुस्‍तकालय की स्‍थापना की गई जिसमें एक पूर्णकालिक संग्रहाध्‍यक्ष भी नियुक्‍त किया गया। महाराजा ने संस्‍कृत, गुजराती और अन्‍य भाषाओं में 6,846 मुद्रित पुस्‍तकें तथा 1,420 पांडुलिपियों सहित एक प्राच्‍य संस्‍थान और पुस्‍कालय की भी स्‍थापना की। सन 1915 में श्री गायकवाड़ की प्राच्‍य श्रृंखला के प्रकाशन का कार्य आरंभ करने वाले वह पहले व्‍यक्‍ति थे।

यह बात चकित कर देने वाली है कि एक शताब्‍दी पहले भी महाराजा ने राज्‍य द्वारा फोटोस्‍टेट कैमरा और कैमरा प्रोजेक्‍टर की खरीद की जाने की व्‍यवस्‍था की थी। प्रोजेक्‍टर का उपयोग मूक फिल्‍मों आदि को देखने के लिए किया जाता था। उन्‍होंने तालुक स्‍तर पर पुस्‍तकालय एसोसिएशन आरंभ की, नगरों और शहरों में मित्र मंडल आयोजित किए। दूरस्‍थ गांवों में पुस्‍तकों की आवश्‍यकता को पूरा करने के लिए सचल पुस्‍तकालय सेवा आयोजित की गई।

विकास तथा सार्वजनिक पुस्‍तकालय विधायन

भारत में, सन् 1661 में चेन्‍नई में स्‍थापित अंग्रेजी उपनिवेश पुस्‍तकालय से शुरूआत करते हुए, कुल 54,856 सार्वजनिक पुस्‍तकालय हैं। सन् 1972 को अंतरराष्‍ट्रीय पुस्‍तक वर्ष घोषित किया गया था जिसका नारा था ''सभी के लिए पुस्‍तकें''। स्‍वतंत्रता से पहले भी, पश्चिम भारत में स्थित कोल्‍हापुर राजशाही प्रदेश द्वारा सन् 1945 में सार्वजनिक पुस्‍तकालय अधिनियम पारित किया गया था। भारतीय संघ के 19 राज्‍यों ने सफलतापूर्वकपुस्‍तकालय विधायन पारित किया है। आगामी कुछ वर्ष में, शेष राज्‍यों में भी पुस्‍तकालयनियम बनाए जाने की काफी संभावना है।

संस्‍कृति मंत्रालय का संबंध

पुस्‍तकालय विधेयक 2013 में पुस्‍तकों, सामाचार-पत्रों एवं इलैक्‍ट्रॉनिक प्रकाशनों का निक्षेप

पुराने अधिनियम को रद्द करते हुए एक नया अधिनियम ''पुस्‍तकालय विधेयक 2013 में पुस्‍तकों, समाचार-पत्रों एवं इलैक्‍ट्रॉनिक प्रकाशनों का निक्षेप'' विचाराधीन है।

राष्‍ट्रीय पुस्‍तकालय मिशन (एनएमएल)

राष्‍ट्रीयपुस्‍तकालय मिशन (एनएमएल) की शुरूआत भारतके माननीय राष्‍ट्रपति द्वारा 3 फरवरी, 2014 को की गई। एनएमएल का बजट आबंटन 400 करोड़ रू. है जिसका उद्देश्‍य राष्‍ट्रीय भारतीय आभासी पुस्‍तकालय की स्‍थापना, मॉडल पुस्‍तकालयों की स्‍थापना, पुस्‍तकालयों का गुणात्‍मक / मात्रात्‍मक सर्वेक्षण तथा क्षमता निर्माण करना है। इस स्‍कीम के अंतर्गत, संस्‍कृति मंत्रालय के तहत 6 पुस्‍तकालय, राज्‍यों में 35 केन्‍द्रीय पुस्‍तकालय और 35 जिला पुस्‍तकालयों को मॉडल पुस्‍तकालयों के रूप में विकसित किया जाना है, जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े हुए जिलों में इन पुस्‍तकालयों के विकास पर विशेष बल दिया गया है। इसके अतिरिक्‍त, विभिन्‍न राज्‍यों में फैले 629 जिला पुस्‍तकालयों में नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्‍ध करवाई जाएगी।

अंतरराष्‍ट्रीय और राष्‍ट्रीय संस्‍थानों का सहयोग

अंतरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍य में, संस्‍कृति मंत्रालय के पास संसाधनों और कार्मिकों के आदान-प्रदान के लिए 100 से अधिक पुस्‍तकालयों के साथ किये गए करार मौजूद हैं। फरवरी माह में नई दिल्‍ली में प्रत्‍येक वर्ष अंतरराष्‍ट्रीय पुस्‍तक मेला आयोजित किया जाता है। भारत में विश्‍व पुस्‍तक दिवस (23 अप्रैल) को विश्‍व पुस्‍तक दिवस के रूप में मनाया जाता है। एशिया के सबसे बड़े साहित्यिक उत्‍सव-जयपुर साहित्‍य उत्‍सव, जो पूरे विश्‍व से आये लेखकों और आंगतुकों को आकर्षित करता है, प्रत्‍येक वर्ष जनवरी माह में जयपुर में आयोजित किया जाता है। इस उत्‍सव के अद्वितीय आकर्षणों में से एक है, प्रख्‍यात संगीतकारों द्वारा पेश की जाने वाली लाइव प्रस्‍तुतियां। जयपुर साहित्‍य उत्‍सव का आयोजन जयपुर में वर्ष 2006 से किया जा रहा है।

भारत में प्रत्‍येक वर्ष 14 से 21 नवंबर तक राष्‍ट्रीय पुस्‍तकालय सप्‍ताह मनाया जाता है।

संस्‍कृति मंत्रालय छह सार्वजनिक पुस्‍तकालयों की प्रशासनिक देख रेख का कार्य करता है

संस्‍कृति मंत्रालय छह सार्वजनिक पुस्‍तकालयों की प्रशासनिक देख रेख का कार्य करता हैराष्‍ट्रीय पुस्‍तकालय, भारत में पुस्‍तकालय प्रणाली का एक शीर्षस्‍थ निकाय है तथा यह संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार के एक अधीनस्‍थ कार्यालय के रूप में कार्य करता है। एक राष्‍ट्रीय पुस्‍तकालय और एक सार्वजनिक पुस्‍तकालय के रूप में यह दोहरा कार्य करता है।

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रामपुर स्थित रामपुर रज़ा पुस्‍तकालयरामपुर स्थित रामपुर रज़ा पुस्‍तकालय, संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍त निकाय है जिसे सन् 1774 में नवाब फैजुल्‍लाह खान द्वारा स्‍थापित किया गया और यह भारतीय इस्‍लामी अध्‍ययन और कलाओं, बेशकीमती दुर्लभ पांडुलिपियों, ऐतिहासिक दस्‍तावेज,मुगल लघु चित्रों और पुस्‍तकों के वंशागत संग्रह तथा नवाब के तोषखाने में रखे हुए अन्‍य कलात्‍मक कार्यों का खज़ाना है।

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खुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिकखुदा बख्‍श ओरिएण्‍टल पब्लिक, लाईब्रेरी, पटना, संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍त निकाय है जो लगभग 21,000 प्राच्य पांडुलिपियों और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह है। यद्यपि इसकी स्‍थापना पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए सन् 1891 में खोला गया।

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दिल्‍ली पब्‍लिक लाइब्रेरीदिल्‍ली पब्‍लिक लाइब्रेरी (डीपीएल )1951 में यूनेस्‍को परियोजनाके रूप में प्रारम्‍भ की गयी थी और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरूद्वाराकिया गया था। यह दिल्‍ली महानगर में प्रीमियर पब्‍लिक लाइब्रेरी सिस्‍टम के रूप में विकसित हो गयी है। डीपीएल का जोनल पुस्‍तकालयों,शाखाओं और उप शाखाओं,आर.सी. पुस्‍तकालयों,सामुदायिक पुस्‍तकालयों,डिपोजिट स्‍टेशनों,मोबाइल पुस्‍तकालय, ब्रेल पुस्‍तकालय का एक नेटवर्क है जो सम्‍पूर्ण दिल्‍ली में फैला है। डीपीएल संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍तशासी निकाय है जिसकी स्‍थापना यूनेस्‍को से तकनीकी सहायता प्राप्‍त करके की गयी थी और 27 अक्‍तूबर,1951 को पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। डीपीएल दक्षिण-पूर्वएशिया में सबसे व्‍यस्‍त पब्‍लिक लाइब्रेरी है।

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ब्रेल लाइब्रेरी सेवाएंसंस्‍कृति मंत्रालय के अधीन केन्‍द्रीय सचिवालय पुस्‍तकालय भारत सरकार के सर्वाधिक प्राचीन पुस्‍तकालयों में से एक है। इससे पहले 1891 में इम्‍पीरियल सेक्रेटिएट लाइब्रेरी कोलकाता(कलकत्‍ता ) में स्‍थापित की गयी थी। संग्रहण के आकार के लिहाज से नेशनल लाइब्रेरी,कोलकाता के बाद यह केन्‍द्रीय सरकार का दूसरा सबसे बड़ा पुस्‍तकालय है।

तंजावुर महाराजा शेरोफजी सरस्‍वती महल लाइब्रेरीतंजावुर महाराजा शेरोफजी सरस्‍वती महल लाइब्रेरी, तंजावुर संस्‍कृति का एक अपार भण्‍डार अपने में संजोए है और इसे नोलेज ऑफ हाउस के नाम से जाना जाता हैजिसे तंजावुर के नायकों तथा मराठों द्वारा बनाया था। इस लाइब्रेरी हाउस में कला,संस्‍कृति तथा साहित्‍य पर पाण्‍डुलिपियों का एक समृद्ध तथा दुर्लभ संग्रह है। तंजावुर के नायक किंग्‍स तथा मराठा शासकों द्वारा रॉयल पैलेस लाइब्रेरी के रूप में अस्‍तित्‍व में आयी तथा पोषित इस पुस्‍तकालय को बौद्धिक समृद्धि के लिए निर्मित किया गया।

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राजा राम मोहन राय लाइब्रेरी संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्‍तशासी निकाय के रूप में राजा राम मोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन (आरआरआरएलएफ की स्‍थापना मई 1972 में की गई थी। आरआरआरएलएफ को देश में लाइब्रेरी /गतिविधियों को प्रोत्‍साहन देने का दायित्‍व सौंपा गया था। आरआरआरएलएफ विभिन्‍न राज्‍यों सरकारों तथा संघ राज्‍य क्षेत्रों के प्रशासन के साथ निकट सहयोग स्‍थापित कर और सक्रिय सहयोग से एक ऐसी मशीनरी के तहत कार्य करता है जिसे राज्‍य पुस्‍तकालय नियोजन समिति एसएलपी सी/ एसएलसी) कहा जाता है और जो फाउंडेशन की प्रेरणा से प्रत्‍येक राज्‍य में कार्यरत है, निधिपोषण निकाय के अलावा,आरआरआरएलएफ देश में सार्वजनिक पुस्‍तकालय के समन्‍वयन, मॉनीटरिंग तथा विकास के लिए राष्‍ट्रीय एजेंसी के रूप में भी कार्य करता है।

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