तंजावुर महाराजा शेरोफजी सरस्‍वती महल लाइब्रेरी, तंजावुर

तंजावुर महाराजा शेरोफजी सरस्‍वती महल लाइब्रेरी

Thanjavur Library
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तंजावुर महाराजा शेरोफजी सरस्‍वती महल तंजावुर,तमिलनाड़ में स्‍थित है। यह एशिया में सबसे प्राचीनतम पुस्‍तकालयों में एक है। सरस्‍वती लाइब्रेरी तंजावुर पैलेस के कैम्‍पस के अन्‍तर्गत स्‍थित है। आगन्‍तुक संरक्षितपुस्‍तकों का अवलोकन कर सकते हैं और पुस्‍तकालय परिसर में बैठकर पढ़ सकते हैं। यह पुस्‍तकालय आम लोगों के लिए खुला है।

The Glorious Past शानदार अतीत :

सरस्‍वती महल लाइब्रेरी को तंजावुर के नायक किंग्‍स के लिए रॉयल लाइब्रेरी के रूप में प्रारम्‍भ किया गया था जिसने 1535-1675 ईसा पश्‍चात शासनकिया था। मराठा शासक जिन्‍होंने तंजावुर पर 1675 में कब्‍जा किया था, स्‍थानीय संस्‍कृति को संरक्षित किया और 1855 तक रॉयल पैलेस लाइब्रेरी का विकास किया। मराठा किंग्‍स के मध्‍य शैरॉफजी II ( 1798-1832)सबसे अधिक प्रभावशाली थे जो शिक्षणतथा कला की कई शाखाओंमें एक प्रतिष्‍ठित स्‍कॉलर थे। अपनी प्रारम्‍भिक आयु में शैरोफजी ने जर्मन रेवरेंट शावर्तज के अधीनअध्‍ययन कियाऔर अंग्रेजी,फ्रैंच,इटालवी तथा लातीन सहित कई भाषाओं का अध्‍ययन किया।उन्‍होंने पुस्‍तकालय की समृद्धि के लिए अत्‍यधिक रुचि प्रदर्शित की और उत्‍तर भारततथा अन्‍य दूर-दराज के इलाकों में संस्‍कृत शिक्षण के सभी ख्‍यात शिक्षण केन्‍द्रों से कई कार्यों के संग्रहण,खरीद तथा प्रति प्राप्‍त करनेके लिए कई पंडितों को नियोजित किया। 1918 से सरस्‍वती महल लाइब्रेरी तमिलनाडु राज्‍य की सम्‍पत्‍ति बन गया । लाइब्रेरी का सरकारी नाम महान रॉयल मराठा संरक्षक के सम्‍मान में रखा गया।

इस पुस्‍तकालय में ताड़ पत्‍तों की पाण्‍डुलिपियों के दुर्लभ संग्रहों को दिखाया गया है और तमिल,हिन्‍दी,तेलुगु,मराठी,अंग्रेजी तथा भारत की अन्‍य कुछ स्‍वदेशी भाषाओं में पेपर लिखे गए हैं। यह संग्रह 60,000 से अधिकखण्‍डों में है। यह पुस्‍तकालय संग्रहण से दुर्लभपाण्‍डुलिपियों के प्रकाशन में किए जाने वाले प्रयासों को सहायता प्रदान करता है और साथ हीसभी खण्‍डों को माइक्रोफिल्‍म में संरक्षित रखने का सुनिश्‍चय करताहै। इस पुस्‍तकालय ने पुस्‍तकालय गतिविधियों का कम्‍प्‍यूटरीकरण किया है।

संग्रहण

पाण्‍डुलिपियों की भारी मात्रा (39,300) संस्‍कृत में है जो ग्रन्‍थ, देवनागरी,नन्‍दीनगरी ,तेलुगु तथा तमिल जैसी लिपियों में लिखी गयी है और जिसके शीर्षक साहित्‍य,संगीत तथा औषधि में हैं। इस पुस्‍तकालय में 17वीं,18वीं तथा 19वीं शताब्‍दियों के दक्षिण भारत महाराष्‍ट्र से 3076 मराठी पाण्‍डुलिपियों का संग्रहणहै । मराठी पाण्‍डुलिपियां मुख्‍यत: पेपर में हैं लेकिन कुछ ही ताड़ पत्‍तों पर तेलुगु लिपि में लिखी गयी हैं। स्‍वामित्‍व में केवल 846 तेलुगु पाण्‍डुलिपियां हैं जिनमेंसे अधिकतर ताड़ पत्‍तों में हैं। संग्रहण में 22 फारसी तथा उर्दू पाण्‍डुलिपियां अधिकांशत: 19वीं शताब्‍दी की हैं। यह पुस्‍तकालय आयुर्वेद स्‍कालरों के मेडिकल रिकार्ड भी रखता है जिसमें धनवंतरी खण्‍ड के अन्‍तर्गत वर्गीकृत पाण्‍डुलिपियों में रोगियों के मामलों के अध्‍ययन तथा साक्षात्‍कार शामिल हैं। इन पाण्‍डुलिपियों के अलावा पुस्‍तकालय में मराठा राज के 1342 बंडलों का रिकार्ड्स भी शामिल है। राज रिकार्ड मोदी लिपि( देवनागरी के सम्‍बन्‍ध में त्‍वरित लिपि ) में मराठी भाषा में लिखे गए हैं।

पुस्‍तकालय संग्रहालय

पुस्‍तकालय भवन में संग्रहालय स्‍थित है जो आम लोगों के लिए पुस्‍तकालय के महत्‍व को दर्शाता है। यह संग्रहालय छोटा है लेकिन कई खण्‍डों में संगठित है जिसमें प्राचीन पाण्‍डुलिपियां,चित्रित पाण्‍डुलिपियां,मूल ड्राइंग्‍स की मुद्रित प्रतिलिपियां,एटलॉस , तंजावुर स्‍टाइल की पेपर पेटिंग, केनवास पेटिंग,काष्‍ठ पेन्‍टिंग,ग्‍लास पेन्‍टिंग्‍स,तंजावुर मराठा किंग्‍स का छाया चित्र तथा चार्ल्‍स ले-ब्रुन का फिजिओग्‍नोमी चार्ट्स को मुख्‍य रूप से दर्शाया गया है।

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