कलकत्ता (कोलकाता) सार्वजनिक पुस्तकालय ने अपनी यात्रा 21 मार्च, 1836 को आरंभ की। इस पुस्तकालय की स्थापना संदर्भ और उधार देने के प्रयोजन से की गई तथा यह पुस्तकालय स्ववित्तापोषित सिद्धांत पर, श्रेणी, रंग या राष्ट्रीयता से परे, सभी के लिए खोला गया था। |
एफ.बी. स्ट्रांग के घर में कलकत्ता (कोलकाता) सार्वजनिक पुस्तकालय |
कलकत्ता सार्वजनिकपुस्तकालय को बाद में इंपीरियल लाइब्रेरी के साथ मिला दिया गया तथा कई सचिवालय पुस्तकालयों के संग्रहों को इकट्ठा करके जनवरी, 1903 में इंपीरियल पुस्तकालय को जनता के लिए खोला गया। |
मेटकाफ हॉल में इंपीरियल लाइब्रेरी |
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात्, सन् 1948 में इंपीरियल लाइब्रेरी (नाम में परिवर्तन) अधिनियम के द्वारा इंपीरियल पुस्तकालय के स्थान पर राष्ट्रीय पुस्तकालय अस्तित्व में आया। इसे भारतके संविधान की संघ सूची की 7वीं अनुसूची के अनुच्छेद 62 में राष्ट्रीय महत्व का संस्थान होने का एक विशेष दर्जा प्रदान किया गया है तथा तत्कालीन, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 1 फरवरी, 1953 को पुस्तकालय, जनता के लिए खोल दिया। |
बेलवेडेयर एस्टेट में राष्ट्रीय पुस्तकालय का पुस्तकालय भवन |